बजट दिखावा है मध्यप्रदेश का। किसान खाली हाथ।
फिर 7वां वेतन आयोग(कर्मचारियों के मजे )
किसानों को सैलरी पर रख कर खेती करवाना चाहिये सरकार को।
किसान की अरहर दाल के रेट गिरा कर गरीबों को मुफ्त बांटो आलु 1 रु किलो भी नही बिक रहा टमाटर रोड पर आ गया । फसल के दाम नही बड़े पैदावार बढ़ा कर फसल को खेत से उठाना महंगा हो गया। जितनी योजना आई उसमे अधिकारी का 30% तो पक्का है । किसान को व्यक्तिगत लाभ कुछ नही ।
किसानों के फसल के दाम नही बढ़ा सकती सरकार तो कर्मचारियों का वेतन क्यों बढाती है ?
किसान गरीब और अमीर दो वर्ग के बीच मे पिस रहा है । कर्मचारियों के वेतन में आए दिन वृद्धि कर देती है सरकार और गरीबों को घर बिठाकर खिला रही है । जो मेहनत करता है उसके नाम पर सरकार अवार्ड ले लेती है और उसके फसल के दाम की कोई बात नही करता । किसानों को भीख मे कभी 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस कभी कर्ज माफ। ये सब करने से पहले इनकी वसुली के रास्ते पहले ही तैयार कर लेते है सरकारी मुलाजिम । बाल बच्चे तो किसानों के भी है बीमार तो वो भी होते है अच्छे स्कूल मे पढ़ने का मन उनका भी है । महंगाई की मार तो वो भी झेलता है ।
5 वर्ष मे 3 वर्ष ऊपर वाला कहता है मेरा हिस्सा मुझे दो बाकी के 2 वर्ष मे नीचे वाले कहते है कृषि कर्मण अवार्ड मिला है हमारे कारण से हम न 1 है । किसान का क्या ?
घनश्याम सिंह चंद्रवंशी
अ.भा ग्राहक पंचायत