वैसे तो फसल बीमे की शुरुआत फसल क्षति से होने वाली किसानों की हानि को कम करने एवं खेती में किसानों के खतरे को कम करने के लिए की गई है परन्तु इससे अब यह देखा जा रहा है की इससे किसानों को कम लाभ एवं कम्पनियों को अधिक मुनाफा हो रहा है, आइये जानते हैं कैसे ?
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कर दिया गया है | इसमें बीमें के लिए केंद्र सरकार ने प्रीमियम के नाम पर केंद्रीय बजट 2016 में 7000 करोड़ रु. 2017 में 9000 करोड़ रु. तथा 2018 में 13000 करोड़ रुपया दिया गया है, लेकिन इस बजट से किसानों को कम तथा बीमा करने वाली कंपनियों को ज्यादा फायदा हो रहा है |
प्रधान मंत्री फसल बीमा के नाम पर बीमा कंपनी किसानों को इस प्रकार लुट रही है कि किसानों को मालूम भी नहीं चल रहा है तथा कंपनियों को बहुत फायदा हो रहा है, तो आज कृषि सहायक से जानें किस प्रकार बीमा कंपनी किसानों को लूट रही है |
किसान जब बैंक से कृषि कर्ज लेते हैं तो आप किसान कर्ज का 2% खरीफ का तथा 1.5% रबी का बीमा कंपनी को देते हैं | बिना यह सोचे समझे कीसभी तरह के कृषि कर्ज पर बीमा कंपनी को बीमा प्रीमियम देना जरुरी है या नहीं, एसा जरुरी नहीं है कि प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना में यह जरुरी नहीं है की बीमा राशी आप दें | क्योंकि प्रधान मंत्री बीमा योजना में यह साफ लिखा हुआ है की आप के खेत में जो फसल बोई जा रही है वह फसल बीमा के अनुसार है की नहीं अगर आप की फसल बीमा फसल के अनुसार नहीं है तो प्रीमियम नहीं देना होगा अगर आप से प्रीमियम कंपनी ने लिया है तो कंपनी किसान को बीमा राशी लौटायेगी |
इसे इस तरह समझते हैं की आप का खेत सिंचित क्षेत्र में नहीं आता है | और आप ने उस खेत में धान की फसल बोई है, तो फिर आपका बीमा नहीं होगा | इस तरह अगर आपका खेत असिंचित क्षेत्र में आता है और आपने उस खेत में मूंग की फसल बोई है तो आप का बीमा नहीं होगा | फसल को बोने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से कर्ज लिया है तो खरीफ फसल के लिए बैंक 2% काटकर बीमा कंपनी को दे देता है | लेकिन कंपनी उस पैसे को नहीं लौटता है | जब आप की फसल प्राकृतिक कारणों से नुकसान होता है तो आप के बीमा दावा करने के बाबजूद भी आप को नुकसानी का भरपाई नहीं किया जाता है | यह बात किसानों को नहीं मालूम है तथा बैक और बीमा कंपनी भी इसके बारे में नहीं बताते है |
वर्ष 2017 – 18 में बीमा कंपनी ने मध्यप्रदेश में 42 लाख किसानों से 452 करोड़ का प्रीमियम वसूला है तथा उसने कितने किसानों को प्रीमियम के अनुसार भुगतान किया है यह बताने को तैयार नहीं है | कंपनी का साफ कहने है की किसान से प्रीमियम जमा करने का अर्थ यह नहीं की किसान को नुकसान का भरपाई की ही जाएगी क्योंकि किसान का प्रीमियम तो कटा है लेकिन उसका बीमा नहीं हुआ है | एक आकडे के अनुसार प्रदेश में लगभग 10 लाख किसानों को प्रीमियम के बाद भी बीमा नहीं हुआ है | यह आकड़ा बीमित किसान का 25% है | जबकि प्रत्येक किसान से औसतन 1000 रु. का प्रीमियम बैंक के द्वारा काटकर बीमा कंपनी को दिया है | इस राशी को जोड़ा जाय तो 100 करोड़ रु. होता है | इसका मतलब यह हुआ की कंपनी किसान को सहायता करने के नाम पर एक वर्ष में 100 करोड़ का मुनाफा ले रही है, लेकिन मुनाफा 100 करोड़ तक ही सिमित नहीं है बल्कि 100 – 100 करोड़ रु. का प्रीमियम केंद्र तथा राज्य सरकारों से भी कंपनी लेगी, तो कुल मिलकर 300 करोड़ रु. का मुनाफा हो जाता है | आश्चर्य की बात यह है की यह बात किसान को मालूम भी नहीं है |
मध्य प्रदेश के 31 जिलों में एग्रीकल्चर इन्श्योरेंस कंपनी (एआईसी) के पास 20 लाख किसानों को कवर किया है तथा 20 जिलों में आईसीआईसीआई लोंबार्ड , एचडीएफसी एग्रो बीमा करता है |
किसानों को यह भी नहीं मालूम है की प्रदेश में कितनी और कौन – कौन सी बीमा कंपनी कम कर रही है | कृषि सहायक आप को इन कंपनियों के नाम बता रहा है | एग्रीकल्चर इन्श्योरेंस कंपनी (एआईसी) , आईसीआईसीआई लोंबार्ड , एचडीएफसी एग्रो मध्य प्रदेश के 51 जिलों में कार्यरत है |
मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 – 19 कृषि बीमा के लिए 2,000 करोड़ रु. के प्रवधान किया है | इसका मतलब यह हुआ की मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 – 19 में कृषि बीमा 6,000 करोड़ का होगा | क्योंकि कृषि बीमा 3 भागों में बटा हुआ है | एक भाग 33% किसान, 33.33% राज्य सरकार तथा 33.33% केंद्र सरकार का प्रीमियम रहेगा | जब राज्य सरकार का प्रीमियम 2018 – 19 के लिए 2,000 करोड़ रु. है तो केंद्र सरकार तथा किसान से भी 2,000 करोड़ रु. का प्रीमियम लिया जाएगा |
इसका मतलब यह नहीं है की जिन किसानों का बीमा नियम अनुसार हो जाता है उसे बीमा राशी मिल जाती है | पिछले वर्ष 18 जुलाई 2017 को एक लिखित सवाल के जवाब में कृषि कल्याण राज्य मंत्री श्री पुरुषोतम रुपाला ने संसद में जो बताया उससे तो यह ही मालूम चलता है की प्रधान मंत्री कृषि बीमा योजना केवल बीमा कंपनी को फायदा पहुचने के लिए ही लागु किया गया है |
वर्ष 2016 – 17 के खरीफ तथा रबी फसल के लिए किसानों तथा सरकार (केंद्र तथा राज्य सरकार) दोनों को मिलकर बीमा कंपनी को 20,374 करोड़ का प्रीमियम दिया गया था | जब किसानों की फसल का नुकसान हुआ था तो किसान ने कंपनी के सामने 5650.37 करोड़ का दावा किया था लेकिन बीमा कंपनी ने केवल दावा राशी का 65% ही भुगतान किया जो 3656.45 करोड़ रुपया होता है | इससे बीमा कंपनी को 16,717.55 करोड़ रु, का शुद्ध मुनाफा हुआ | अगर कंपनी किसान के द्वारा दावा राशि (5650.37 करोड़ रूपये) का भुगतान कर भी देती तो भी बीमा कंपनी को 14,723.63 करोड़ रूपये का फायदा होता |
कृषि एवं कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोतम रुपाला ने जानकारी दी की खरीफ फसल – 2016 के मौसम के लिए पुरे देश में 15685.73 करोड़ का प्रीमियम दिया गया | इसमें किसानों ने 2705.3 करोड़ रुपया किसानों ने दिया | जब किसानों का फसल नुकसान हुआ तो किसानों ने 5621.11 करोड़ रुपया का दावा किया | लेकिन बीमा कंपनी ने 53.94 लाख किसानों के 3634 करोड़ रुपया का ही भुगतान किया | जो बीमित किसान का 23.71% को ही लाभ मिला | इससे बीमा कंपनी को 12,051.73 करोड़ का लाभ हुआ | अगर बीमा कंपनी किसानों के द्वारा दावा किया गया राशी को भुगतान कर भी देता तो भो बीमा कंपनी 10,064.62 करोड़ का शुद्ध लाभ होता |
अगर इस सीजन में मध्य प्रदेश के बारे में बात किया जाये तो यहाँ भी कृषि बीमा के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है | मध्य प्रदेश के बारे में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया की वर्ष 2016 खरीफ फसल के लिए 2836.3 करोड़ का प्रीमियम भरा गया | इसमें 402.9 करोड़ रूपये का प्रीमियम तो किसानों ने ही भरा था | जब किसानों का फसल नुकसान हुआ तो किसानों ने 637 करोड़ रूपये का दावा किया | लेकिन कृषि बीमा कंपनी ने 114953 किसानों को केवल 51.52 करोड़ रूपये का ही भुगतान किया जो दावा राशी का 1.82% था | यह राशी औसतन किसान 4482 रूपये होता है | इससे कृषि बीमा कंपनी को 2,784.78 करोड़ का शुद्ध मुनाफा हुआ | अगर कृषि बीमा कंपनी किसानों के द्वारा दावा राशी का भुगतान कर भी देती तो भी बीमा कंपनी को 2,199.3 करोड़ का फायदा होता |
इन आकड़ों से साफ हो गया की प्रधान मंत्री कृषि बीमा योजना किसानों को छलावा ही नहीं बल्कि किसानों के नाम पर बीमा कंपनी को मुनाफा पहुँचाने का खेल चल रहा है | जो किसान दावा कर रहे है इसका मतलब यह नहीं है जितने किसानों का फसल नुकसान हुआ है वह सभी किसान नुकसानी का दावा कर रहे हैं | हकीकत तो यह है की बहुत से किसान को तो मालूम ही नहीं है की KCC से कर्ज लेने पर उनका बीमा हो गया है | यह आकड़ा तो उस किसान का है जिनका सर्वे हुआ है |
इस खेल से बचने के लिए सभी किसानों को जागरूक होना होगा साथ ही फसल बीमे की पूरी जानकारी सभी किसानों तक पंहुचाकर फसल बीमे की प्रक्रिया में सुधार करने होगें अन्यथा फसल बीमा करने वाली कम्पनियां इसी तरह किसानों को लूटती रहेंगी और किसानों को इसकी जानकारी भी नहीं होगी |