पुनर्वास स्थल पर दिये गये अधिकार-पत्रों की रजिस्ट्री करवायेगी सरकार
विस्थापन की भूमि के लिये भी मिलेगा विशेष पैकेज, मकान बनाने पाँच लाख का अलग से पैकेज
पुनर्वास स्थल पर बनेंगे आदर्श गाँव, विपक्ष के भ्रामक दुष्प्रचार पर ध्यान न दें लोग
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहाँ सरदार सरोवर डूब क्षेत्र के प्रभावितों के साथ रू-ब-रू चर्चा करने के बाद उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप अनेक सौगातों की घोषणा की। प्रभावितों का आव्हान किया कि पुनर्वास कार्य सबकी जिम्मेदारी है। ऐसी परिस्थितियाँ बनाई जाये कि यह कार्य राजी-खुशी सम्पन्न हो। सरकार आत्मीय भाव से बेहतर से बेहतर कार्य कर रही है। आगे जो भी समस्या सामने आयेगी, उसका पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान किया जायेगा। उन्होंने प्रभावित परिवारों का आव्हान किया कि वे सरदार सरोवर परियोजना और पुनर्वास के प्रयासों को लेकर किये जा रहे विपक्ष के भ्रामक दुष्प्रचार पर ध्यान नहीं दें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि निसरपुर कस्बे को आदर्श शहर बनाया जायेगा। पानी भरने के बाद जो क्षेत्र टापू बनेंगे वहाँ, पुल, सड़कें और पहुँच मार्ग बनाए जायेंगे। जिन क्षेत्रों में खेती संभव नहीं होगी, उसका किसानों की माँग पर मुआवजा दिया जायेगा। डूब क्षेत्र के लोगों को जो विशेष पैकेज मिला है, विस्थापन के अधिग्रहीत भूमि स्वामियों को भी मिलेगा। ऐसे परिवार जिनकी 25 प्रतिशत से कम भूमि डूब में आयी है, उनको भी पैकेज का लाभ दिया जायेगा। पैकेज की गणना डूब में गई भूमि के अनुपात से की जायेगी। पुनर्वास स्थल पर दिये गये हर अधिकार-पत्र की रजिस्ट्री होगी। रजिस्ट्री के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। सिंचाई के लिए किसानों द्वारा डलवाई गई पाइप लाइन का भी सर्वेक्षण करवाकर मुआवजा दिया जायेगा। मकान बनवाने के लिए 5 लाख रुपये का विशेष पैकेज दिया जायेगा। यह राशि आकस्मिक व्यय के लिये दी गई राशि 80 हजार रूपये के अतिरिक्त होगी।
श्री चौहान ने कहा कि सरकार पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाओं के लिये पूरी ताकत के साथ कार्य करेगी। पुनर्वास कार्य बेहतर से बेहतर होंगे। पुनर्वास स्थल के सारे गाँव आदर्श गाँव के रूप में विकसित किये जायेंगे। पैसा किसी भी हाल में आड़े नहीं आयेगा। कार्य पूर्णता की समय-सीमा तो है किन्तु कार्य रूकने नहीं दिया जायेगा, निरंतर जारी रहेगा। आगे जो भी समस्या आएगी, उसका तत्परता और संवेदनशीलता से समाधान होता जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुनर्वास के लिए पहले भी 600 करोड़ का पैकेज दिया गया था जिसमें 5 लाख 62 हजार रूपये मिलने थे। अब उस राशि को बढ़ाकर 15 लाख रूपये किया गया है। सरकारी, धर्मस्व एवं समाज के मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए 27 करोड़ रूपये की पूरी राशि दी जायेगी। आवश्यकता होने पर और राशि भी दी जायेगी। सभी समाजों के मांगलिक भवनों के लिए उपलब्धता के आधार पर भूखण्ड दिये जायेंगे। सर्वे में छूट गये जायज परिवारों के लिए फिर से सर्वे करवाया जायेगा। पात्र परिवारों को भी सभी प्रकार की राहत सुविधाएँ मिलेगी। गाँधी जी के अस्थि-कलश को भव्य स्मारक में स्थापित किया जायेगा। पात्रता निर्धारण संबंधी विसंगतियों में जो नाम प्रकाश में आयेंगे, उनका पुन: सर्वे कराकर निराकरण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि गाँव आज जिस स्थिति में है, पुनर्वास स्थल के गाँव उससे कई गुना बेहतर स्थिति में होंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 5 अप्रैल 1961 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पं. जवाहर लाल नेहरू ने परियोजना का शिलान्यास किया था। उसके बाद अधिकांश समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं। उन्होंने इसमें परिवर्तन के लिये कोई प्रयास नहीं किये। यद्यपि जब संविद सरकार बनी, तब जरूर तत्कालीन जनसंघ के मंत्रियों ने इसकी ऊँचाई का विरोध किया था। कुछ समय के लिये परियोजना लंबित भी हुई थी। किन्तु वर्ष 1985 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री अर्जुन सिंह और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री माधव सिंह सोलंकी से प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने ट्रिब्यूनल को सौंपने और उसके निर्णयों के क्रियान्वयन की व्यवस्था करवा दी थी। मुख्यमंत्री ने भ्रामक दुष्प्रचार पर ध्यान नहीं देने का आव्हान करते हुये कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि पानी भरने की अनिवार्यता की स्थिति में भी डूब क्षेत्र के लोग सुविधा से रहें। इसी मंशा से पुनर्वास प्रयास किये जा रहे हैं।