भावांतर योजना से मंडियों की आवक में अप्रत्याशित वृद्धि
भावांतर भुगतान योजना में पंजीबद्ध 5 लाख 12 हजार किसानों ने एक से 30 नवम्बर 2017 के बीच अधिकृत कृषि उपज मण्डियों में अपनी फसल समर्थन मूल्य पर व्यापारियों को बेची। राज्य सरकार द्वारा इन किसानों को कुल 703 करोड़ 96 लाख रुपये भावांतर राशि इसी माह बैंक खातों में दी जाएगी। इसके पूर्व योजनान्तर्गत 16 से 31 अक्टूबर 2017 तक 1.28 लाख पंजीकृत किसानों ने अधिकृत मंडियों में अपनी फसल बेची थी। इन्हें राज्य सरकार ने 136 करोड़ 75 लाख रुपये भावांतर राशि का भुगतान कर दिया है। इसी योजना में मक्का की विक्रय अवधि को राज्य सरकार ने 31 जनवरी 2018 तक बढ़ा दिया है।
प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना में 21 लाख 88 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है। योजना में 41 लाख 43 हजार 389 हेक्टयर रकबा कवर किया गया है। किसानों को भावांतर राशि का भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सिस्टम से सीधे बैंक खाते में किया जा रहा है। इसकी सूचना किसानों को उनके मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से भी दी जा रही है। किसानों को भावांतर राशि के साथ गोदाम भंडारण अनुदान राशि भी दी जा रही है। दोनों लाभ एक साथ दिए जा रहे है। गोदाम भंडारण अनुदान को 7 रुपये प्रति क्विंटल प्रतिमाह से बढ़ाकर 9 रुपये 90 पैसे प्रति क्विंटल प्रतिमाह कर दिया गया है।
भावांतर भुगतान योजना ने किसानों को उपज के भाव के उतार-चढ़ाव से वास्तव में मुक्ति दिलवाई है। वर्ष 2016 और 2017 के अक्टूबर तथा नवम्बर माह के दौरान मंडियों में अब तक के आकड़े यही दर्शाते हैं।
अक्टूबर 2017 में अक्टूबर 2016 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक 31 लाख 65 हजार टन आवक मंडियों में दर्ज हुई है। इससे मंडियों की आय में भी इजाफा हुआ है। यह भावांतर भुगतान योजना का ही परिणाम है।
अक्टूबर 2017 में 91 करोड़ 12 लाख रूपये मंडियों की आय रही जो अक्टूबर 2016 की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह नवम्बर 2017 में 122 करोड 16 लाख रुपये मंडियों की आय रही जो नवम्बर 2016 की आय की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक है।
प्रदेश में 51 उप मंडी प्रांगणों को क्रियाशील कर इसमें भी योजना लागू की गई है। इसके साथ ही 20 हॉट-बाजारों को भी योजना के क्रियान्वयन के लिए क्रियाशील किया गया है