प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूसा में आयोजित कृषि उन्नति मेले में शिरकत की। प्रधानमंत्री ने मेले में कई स्टालों का अवलोकन किया। जिनमें कृषि लागत में कमी करने की जानकारी के साथ ही जोखिम प्रबंधन भी शामिल रहा।
साथ ही स्टॉल के ज़रिए कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की नई टेक्नोलॉजी,माइक्रो एरिगेशन, वेस्ट वाटर यूटिलाइजेशन को प्रदर्शित किया गया। साथ ही कृषि के क्षेत्र में हुयी प्रगति और आधुनिक तकनीक की जानकारी देने वाला ये मेला 18 मार्च तक चलेगा। इस बार का मुख्य विषय 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना है। यह मेला कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर एक विशेष थीम के साथ हर साल आयोजित किया जाता है। गौरतलब है कि इस मेले का आयोजन सन् 1972 से शुरू हुआ था और ये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का एक अहम सालाना समारोह है। इस दौरान कृषि क्षेत्र के लिए सहायक प्रौद्योगिकी की भी जानकारी दी गयी। इसमें सामान्य और पर्यावरण अनुकूल कृषि के साथ-साथ जैविक खेती पर भी ज़ोर रहा। इस दौरान 2022 तक कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने और इसे अधिक आय वाला बनाने के लिए बागवानी, पशुपालन,मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन और पारंपरिक खेती में प्रौद्योगिकी इस्तेमाल के लिए भी प्रेरित किया गया।
कृषि उन्नति मेले का हुआ शुभारंभमेले में कृषि संबंधित प्रदर्शनी विकसित कृषि तकनीक का प्रधानमंत्री ने किया अवलोकन2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करना,मेले का मुख्य विषयमधुमक्खी पालन,बागवानी और पशुपालन को बढ़ावाजैविक महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षणप्रधानमंत्री का इस मौक़े पर केले के रेशे से बने शॉल और इलाइची से बनी हुई माला पहनाकर स्वागत किया गया। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री ने देश के 13 राज्यों में बनने वाले 25 कृषि विज्ञान केंद्रों की आधारशिला रखी। साथ ही उन्होने जैविक खेती पोर्टल का शुभारम्भ भी किया। ये पोर्टल जैविक खेती से जुड़े बाज़ार से लेकर विशेषज्ञों की राय एक ही प्लेटफार्म पर रखेगा। जैविक खाद का कलस्टर आधारित फार्मिंग को बढ़ावा देना यानि जैविक महाकुंभ भी इस मेले का आकर्षण है।
इसी के साथ प्रधानमंत्री ने कृषि कर्मण पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार भी प्रदान किए। कृषि कर्मण पुरस्कार के तहत 10 मिलियन टन से अधिक उत्पादन वाले राज्यों को दिया गया। इनमें तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश सहित पांच राज्यों को ये पुरस्कार मिला। जिसमें पंजाब को एकल फसल में चावल के ज़्यादा उत्पादन पर दिया गया।