सरकार के इस फैसले से देश के लगभग 12 करोड़ किसानों को होगा फायदा।
नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा करने का फैसला किया है। कैबिनेट ने बुधवार को इसे मंजूरी दी। इसके साथ ही खरीफ की सभी 14 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है। पहले किसानों को एक क्विंटल धान के 1550 रुपए मिलते थे लेकिन अब इसी के लिए उन्हें 1750 रुपए दिए जाएंगे। इस फैसले को 2019 में होने वाले चुनावों के मद्देनजर लोकलुभावन फैसले के तौर पर देखा जा रहा है। 10 साल बाद खरीफ फसल में इतनी बड़ी वृद्धि की गई है। इससे पहले 2008-09 में यूपीए सरकार ने 155 रुपये की बढ़ोतरी की थी। सरकार ने बजट में किसानों को उनकी उपज लागत का कम से कम 1.5 गुना देने का ऐलान किया था। उसका यह कदम इसी घोषणा के अनुरूप है।
बाकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी हुई बढ़ोतरी
धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपए की बढ़ोतरी के अलावा दूसरी खरीफ फसलों के एमएसपी में भी वृद्धि की गई है। कपास (मध्यम आकार का रेशा) का एमएसपी 4,020 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,150 रुपए प्रति क्विंटल और कपास (लंबा रेशा) का एमएसपी 4,320 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,450 रुपए प्रति क्विंटल पर कर दिया गया। अरहर का एमएसपी 5,450 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,675 रुपए प्रति क्विंटल , मूंग का एमएसपी 5,575 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,975 रुपए प्रति क्विंटल और उड़द का एमएसपी 5,400 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,600 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।
विपणन वर्ष 2016-17 की खरीद के आंकड़ों के हिसाब से धान का एमएसपी बढ़ाने से खाद्य छूट पर 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ आएगा। धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एमएसपी बढ़ाए जाने से खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी आ सकती है। इस साल भी मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है।
जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से देश के लगभग 12 करोड़ किसानों को फायदा होगा। बताया जा रहा है बढ़े एमएसपी की वजह से केंद्र के खजाने पर 33,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ परामर्श कर नीति आयोग एक बेहतर प्रणाली स्थापित करेगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का पूरा लाभ मिले।
क्या होता है समर्थन मूल्य
जिस साल फसलों का ज्यादा उत्पादन होता है कृषि उत्पाद का मूल्य गिर जाता है। ऐसे में किसानों को अपनी उपज बहुत कम दाम में बेचनी पड़ती है। किसानों को इस स्थिति से बचाने के लिए सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी तय करती है। हर साल ख़रीफ़ के मौसम में 14 फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान किया जाता है। इनमें धान के अलावा , ज्वार , बाजरा, अरहर , उड़द , मूंग , सोयाबीन ,मूंगफली और कपास जैसी फ़सलें शामिल हैं।