नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों विख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के व्यक्तित्व पर लिखी गई पुस्तक शृंखला के दो भागों का लोकापर्ण किया। इस श्रृंखला का शीर्षक द एम एस स्वामीनाथन : दी क्वेंस्ट फोर ए वल्र्ड विदआउट हंगर’ है। इस अवसर पर अनेक केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
प्रोफेसर स्वामीनाथन की लगन और वचनबद्धता की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें एक ‘किसान वैज्ञानिक’ बताया – मात्र ‘कृषि वैज्ञानिक’ की अपेक्षा वे किसानों के वैज्ञानिक थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रोफेसर स्वामीनाथन की विशेषताओं को जमीनी हकीकतों को यथार्थ धरातल से जोड़ती हैं। कृषि क्षेत्र की वर्तमान चुनौतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र की सफलता को पूर्वी भारत में विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक पद्धतियों तथा पारंपरिक कृषि ज्ञान के सम्मिश्रण से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। कतिपय राज्यों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के प्रत्येक जिले की एक अपनी ‘कृषि पहचान,’ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे विपणन को बढ़ावा और औद्योगिक-क्लस्टरों की तर्ज पर कृषि-क्लस्टर का विकास करने में मदद मिलेगी।
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने प्रधानमंत्री के उदगारों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और उनके दृष्टिकोण को सराहा। उन्होंने प्रौद्योगिकी और लोक नीति के बीच सामंजस्य के महत्व पर जोर डाला। इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह भी उपस्थित थे।