योजना का नाम और उद्देश्य- अनुसूचित जाति जनजाति और विमुक्त जाति के छात्र-छात्राओं को अध्ययन हेतु आवासीय एवं शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध कराई जाती हैं।
योजना के तीन भाग है :- (अ) प्रीमैट्रिक छात्रावास – इन छात्रावासों में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है। छात्राओं के लिए घर से दूरी का बंधन तीन किमी एवं छात्रों के लिए आठ किमी है। इसमें किसी प्रकार की आय सीमा का बंधन नहीं है। छात्र छात्राओं को प्रतिमाह शिष्यवृत्ति प्रदान की जाती है। कक्षा 11वीं एवं 12वीं की छात्राओं को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है। कक्षा 11वीं एवं 12वीं के छात्रों को रिक्त सीट के एक तिहाई में प्रवेश दिया जा सकता है। (ब) आश्रम शालायें- आश्रम शालाएं छात्र-छात्राओं के लिए पृथक-पृथक कक्षा 1 से 8 तक संचालित हैं। इन आश्रम शालाओं में छात्र-छात्राओं को आवासीय सुविधा के अंतर्गत शैक्षणिक सुविधा व शिष्यवृत्ति भी प्रदान की जाती है। कक्षा 11वीं एवं 12वीं की छात्राओं को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है। कक्षा 11वीं 12वीं के छात्रों को रिक्त सीट के एक तिहाई में प्रवेश दिया जा सकता है। (स) पोस्टमैट्रिक छात्रावास- कक्षा 11वीं एवं उससे ऊपर की कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को पोस्टमैट्रिक छात्रावास में प्रवेश दिया जाता है। इन छात्रावासों में छात्र-छात्राओं को निर्धारित दर पर प्रतिवर्ष आगमन भत्ते की पात्रता होती है। आगमन भत्ते की राशि से बिस्तर एवं बर्तन आदि की व्यवस्था करते हैं। छात्रवृत्ति प्राप्त करने की पात्रता होती है। योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश। संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण, मण्डल संयोजक एवं संबंधित छात्रावास अधीक्षक। |
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छात्रगृह योजना |
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उद्देश्य- छात्रगृह योजना का उद्देश्य मैट्रिकोत्तर कक्षाओं में अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास में स्थान रिक्त न होने के कारण आवासीय सुविधा उपलब्ध कराना है। विद्यार्थियों को छात्रावसीय दर पर मेट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति स्वीकृत की जाती है।
योजना का स्वरूप- छात्रगृह योजना के लाभ के लिए पाँच या उससे अधिक अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को एक साथ निवास करने पर छात्रगृह की सुविधा के अंतर्गत छात्रावासीय दर पर छात्रवृत्ति तथा भवन का किराया एवं बिजली, पानी के देयकों का भुगतान किया जाता है। संस्था का नियमित विद्यार्थी होना तथा पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के लिये आवश्यक शर्तों की पूर्ति करना विद्यार्थियों के लिये आवश्यक है। कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश। चयन प्रक्रिया- महाविद्यालीन छात्रों जिनको छात्रावास में प्रवेश नहीं मिलता वे ही अपना आवेदन-पत्र संस्था के प्राचार्य को दे सकते हैं। राज्य छात्रवृत्ति (प्रीमैट्रिक)
कार्यक्षेत्र- योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश है। पात्र हितग्राही- उन्हीं छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति की पात्रता है, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं और किसी मान्यता प्राप्त संस्था के नियमित छात्र-छात्रा हैं। इस योजना में आय सीमा का बंधन नहीं है। योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- विद्यार्थियों द्वारा निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र संस्था में प्रस्तुत किया जाता है। छात्रवृत्ति का वितरण बैंक के माध्यम से किया जाता है। आवेदन के साथ स्थाई जाति प्रमाण-पत्र एवं अंकसूची. टी.सी. की प्रमाणित प्रति संलग्न करना अनिवार्य है। संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण, संबंधित शासकीय संस्था के प्रधान पाठक एवं प्राचार्य अथवा नोडल संस्था के प्राचार्य द्वारा। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति
कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश योजना का कार्यक्षेत्र है। संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग। कक्षा 11वीं एवं 12वीं के छात्रावासीय छात्रों को अतिरिक्त पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना- कक्षा 11वीं एवं 12वीं में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के ऐसे विद्यार्थी जो छात्रावास में प्रवेशित हैं, उन्हें प्री मैट्रिक छात्रावासों में निवासरत विद्यार्थियों के समान शिष्यवृत्ति प्राप्त हो सकें इस दृष्टि से पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में देय छात्रवृत्ति के अतिरिक्त छात्रों को 115 रुपये एवं छात्राओं को 125 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त छात्रवृत्ति राज्य शासन अपने स्त्रोत से देता है। पात्रता- पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में दर्शायी गई शर्ताें के अनुसार। संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग। विशेष पिछड़ी जनजाति के बालकों को छात्रवृत्ति योजना- विशेष पिछड़ी जनजाति (सहरिया, भारिया तथा बैगा) के कक्षा पहली से पांचवी तक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की योजना वर्ष 2005-06 से प्रारंभ की गई हैं। प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत अब कक्षा 1 से 5 के बालकों को भी रुपये 15#- प्रतिमाह की दर से 10 माह के लिए रुपये 150#- छात्रवृत्ति दी जायेगी। पात्रता- शासकीय अथवा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के समस्त बालक। संपर्क 1. विकासखण्ड स्तर- विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी#प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय। 2. जिला स्तर- कलेक्टर#सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास#जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण। उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए प्रोत्साहन योजना योजना- प्रतिभावान आदिवासी खिलाड़ियों में प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभा के निखारने हेतु प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गई हैं। राष्ट्रीय स्तर तथा राज्य स्तर पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले आदिवासी खिलाड़ियों को निम्नानुसार राशि दी जाती है :- 1. राष्ट्रीय स्तर- राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने वाले खिलाड़ियों को रुपये चार हजार प्रति छात्र। 2. व्यक्तिगत स्पर्धाओं में :- अ. स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले को रुपये इक्कीस हजार। 3. सामूहिक स्पर्धाओं में :- अ. स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले को रुपये दस हजार। 4. राज्य स्तर – अ. प्रथम स्थान प्राप्त करने पर- रुपये सात हजार। प्रतिभाशाली आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए नेतृत्व विकास शिविर का आयोजन योजना- 19 आदिवासी बाहुल्य जिलों के कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा में जिले में सर्वाधिक अंक पाने वाले आदिवासी वर्ग के एक छात्र तथा एक छात्रा को प्रतिवर्ष 23 जनवरी से 28 जनवरी तक भोपाल में आमंत्रित कर ‘नेतृत्व विकास की क्षमता’ बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण दिया जाता हैं। इनकी अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मुलाकात एवं ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों का अवलोकन भी कराया जाता है। पात्रता- कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा में जिले में सर्वाधिक अंक पाने वाले एक आदिवासी छात्र तथा एक छात्रा। संपर्क- 4. विकासखंड स्तर- विकासखंड शिक्षा अधिकारी#प्राचार्य 5. जिला स्तर – सहायक आयुक्त#जिला संयोजक जनश्री बीमा योजना विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया, बैगा तथा सहरिया के किसी सदस्य की अप्रकृतिक मृत्यु होने पर रुपये 20 हजार की राशि भुगतान की जाती है। विद्यार्थी कल्याण योजना का नाम- आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को निम्नलिखित विशिष्ट परिस्थितियों में आकस्मिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए सहायता दी जाती हैं ताकि वे अपना अध्ययन जारी रख सकें। 1. आकस्मिक विपत्ती में सहायता। 2. विशेष रूप से पीड़ित होने पर रोग निवारण हेतु सहायता। 3. विद्यार्थी की विशेष अभिरूचि को प्रोत्साहन देने हेतु सहायता। 4. लोक नृत्य, लोकगीत, खेलकूद आदि के प्रदर्शन में भाग लेने हेतु सहायता। 5. विद्यार्थियों के कल्याण से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों सहायता की राशि रुपये 1000#- से 25000#- तक है। अनुदान प्राप्त करने के इच्छुक छात्र-छात्राओं को जाति एवं आय प्रमाण-पत्र सहित आवेदन-पत्र शाला प्रमुख को प्रस्तुत करना होता है। पात्रता- 1. शाला का नियमित विद्यार्थी होना चाहिए। संपर्क- 1. शाला प्रमुख। 2. विकासखंड स्तर- विकासखंड शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य, प्रधानाध्यापक, क्षेत्र संयोजक, मण्डल संयोजक। 3. जिला स्तर- सहायक आयुक्त, जिला संयोजक, कलेक्टर। शाला प्रमुख आवेदन-पत्र जिला संयोजक#सहायक आयुक्त को प्रस्तुत करते है। कन्या साक्षरता प्रोत्साहन उद्देश्य- इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति जनजाति की कन्याओं को निरन्तर शिक्षा जारी रखने हेतु प्रोत्साहित करना एवं उनकी आर्थिक सहायता करना है। योजना का स्वरूप- ऐसी कन्याएं जो कक्षा-6,9 एवं 11 में प्रवेश लेती हैं उनके प्रवेश लेने पर क्रमश: रुपये 500#-, 1000#- एवं 3000#- प्रतिवर्ष की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह राशि छात्रवृत्ति के अतिरिक्त देय होती है। कार्यक्षेत्र- योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश है। स्वीकृति की प्रक्रिया- शाला में अध्ययन करने वाली छात्राओं को अपने आवेदन-पत्र संस्था प्रमुख को देना होता है। आवेदन-पत्र के साथ अंक सूची, टी.सी., एवं निर्धारित जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होता है। आयकर दाता को पात्रता नहीं है। संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग, मण्डल संयोजक एवं संबंधित शाला के प्राचार्य#प्रधान पाठक। अनुसूचित जाति#अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकाओं को नि:शुल्क उद्देश्य- कन्या साक्षरता प्रोत्साहन के उद्देश्य से कक्षा-9वीं में अध्ययनरत अनूसूचित जाति#अनुसूचित जनजाति वर्ग की बालिकाओं को नि:शुल्क सायकिल प्रदाय करना। योजना का स्वरूप- कक्षा 8वीं उत्तीर्ण करने के बाद कक्षा 9वीं में अध्ययनरत बालिकाओं को जो स्वयं के ग्राम में शासकीय शाला न होने की स्थिति में अन्य ग्राम की शासकीय शाला में प्रवेश लेंगी, उन्हें विद्यालय तक जाने में सुविधा हो इसके लिये नि:शुल्क सायकिल प्रदाय की जावेगी। संपर्क- जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण#सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास#संबंधित शाला के प्राचार्य। उत्कृष्ट छात्रावास योजना उद्देश्य- 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। योजना का स्वरूप- कक्षा 9वीं से 12वीं तक के अनुसूचित जाति#जनजाति के मेधावी छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जिला एवं विकासखण्ड मुख्यालयों पर बालक#कन्या उत्कृष्ट छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है, इन छात्रावासों में न्यूननतम 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को अंको की मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है तथा इन छात्रावासों में गुणवत्ता की दृष्टि से पौष्टिक भोजन, नाश्ता, नि:शुल्क आवास व्यवस्था, विषयवार कोचिंग, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, लायब्रेरी, खेलकूद सामग्री आदि सुविधायें प्रदान की जाती है। इन छात्रों के उपचारात्मक शिक्षण एवं विशेष कोचिंग की दृष्टि से अंग्रेजी, विज्ञान व गणित विषयों में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। पात्रता- अनुसूचित जाति#जनजाति के कक्षा 9 से 12 तक अध्ययन करने वाले मेधावी छात्र-छात्राएं। योजना हेतु आवेदन- शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के पूर्व पात्रता रखने वाले छात्र-छात्राओं को अपना लिखित आवेदन पत्र संबंधित छात्रावास के अधीक्षक को अंकसूची, टीसी एवं निर्धारित जाति प्रमाण पत्र आदि के साथ प्रस्तुत करना होगा। योजना हेतु संपर्क- जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण#सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एवं संबंधित छात्रावास अधीक्षक। आवासीय विद्यालय उद्देश्य- अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कक्षा 6 से 12 तक के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को आवासीय सुविधा सहित विज्ञान एवं वाणिज्य विषयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना। योजना का स्वरूप- कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय विषयों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से आवासीय विद्यालय की स्थापना की गई है। इन विद्यालयों में 60 प्रतिशत या उससे ऊपर अंक अर्जित करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाता है। इन विद्यालयों में योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है तथा छात्र-छात्राओं को बेहतर आवासीय एवं शैक्षणिक सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है। एक वर्ष अनुत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को आगामी वर्ष में प्रवेश हेतु पात्रता नहीं होगी। प्रवेश हेतु आवेदन- शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के पूर्व पात्रता रखने वाले छात्र-छात्राओं को अपना लिखित आवेदनपत्र संबंधित जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण एवं सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास अथवा आवासीय विद्यालय के प्राचार्य को अंकसूची, टीसी एवं निर्धारित जाति प्रमाण पत्र आदि के साथ प्रस्तुत करना होगा। आवेदक छात्र-छात्राओं की एक लिखित परीक्षा भी आयोजित की जायेगी तथा चयन समिति द्वारा तैयार की गई अंकों की वरिष्ठता के आधार पर प्रवेश दिया जावेगा। संपर्क- जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण#सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एवं शाला के प्राचार्य। प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में एवं सैनिक सैनिक स्कूल तथा प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूलों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति#जनजाति के विद्यार्थियों के शुल्क की प्रतिपूर्ति योजना- सैनिक स्कूल रीवा तथा प्रदेश में स्थित डेली कालेज इंदौर, सिंधिया पब्लिक स्कूल, ग्वालियर, देहली पब्लिक स्कूल भोपाल#इन्दौर जैसे विशिष्ट पब्लिक स्कूलों में अनुसूचित जाति#जनजाति वर्ग के होनहार विद्यार्थियों के लिए 10-10 सीट्स आरक्षित कराई गई है। इनमें चयन उपरांत प्रवेशित छात्रों की स्कूल फीस तथा अन्य शुल्कों का वहन विभाग द्वारा किया जाता है। पात्रता- 1. विभाग द्वारा जिला मुख्यालय पर प्रारंभिक चयन में सफल विद्यार्थी संबंधित संस्था की प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित होते हैं। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को पब्लिक स्कूलों में प्रवेश मिलता है। यह प्रवेश कक्षा तीसरी तथा चौथी कक्षा से होता है। 2. सैनिक स्कूल में प्रवेश हेतु विज्ञापन प्रकाशित होता हैं तथा चयन की कार्यवाही संबंधित संस्था के द्वारा ही की जाती हैं। प्रवेश कक्षा छठवीं में होता है। संपर्क- 1. विकासखंड स्तर- विकासखंड शिक्षा अधिकारी#प्राचार्य। 2. जिला स्तर- सहायक आयुक्त#जिला संयोजक#प्राचार्य सैनिक स्कूल रीवा#प्राचार्य, डेली कॉलेज, इन्दौर तथा सिंधिया पब्लिक स्कूल ग्वालियर एवं डी.पी.एस. इन्दौर#भोपाल। 3. मुख्यालय स्तर- आयुक्त आदिवासी विकास मध्यप्रदेश। विदेश में अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना उद्देश्य- अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के ऐसे अभ्यार्थी जो स्नातक उपाधि, स्नातकोत्तर उपाधि, शोध उपाधि प्राप्त करने के लिये विदेशों में अध्ययन करना चाहते है, उन्हें राज्य शासन द्वारा छात्रवृत्ति के रूप में अधिकतम रुपये 15.00 लाख प्रतिवर्ष दिये जाने का प्रावधान है। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- विदेश में उच्च शिक्षा पात्रता- 1. आवेदन हितग्राही को 60 प्रतिशत अंक प्राप्त हो। 2. मध्यप्रदेश में निवासरत अनुसूचित जाति जनजाति का सदस्य हो। 3. आयु 18 वर्ष से अधिक एवं 35 वर्ष से कम हो। 4. आवेदक या उसके अभिभावक की आय सीमा अधिकतम रु. 5 लाख। 5. विदेश में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय#महाविद्यालय में चयन होने व प्रवेश का प्रमाण। योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- आवेदक विज्ञापन जारी होने के उपरांत निर्धारित समयावधि में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र, आयुक्त, अनुसूचित जाति#आदिवासी विकास मध्यप्रदेश भोपाल को प्रेषित करेगा। योजना हेतु संपर्क- विकासखंड शिक्षा अधिकारी या जिला संयोजक अथवा संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य। अनुसूचित जाति#अनुसूचित जनजाति के अभ्यार्थियों उद्देश्य- अनुसूचित जाति#जनजाति के योग्यता प्राप्त शिक्षित अभ्यार्थियों को संघ लोक सेवा आयोग एवं म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित करना।
प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए आवेदकों के माता-पिता एवं अभिभावकों की वार्षिक आय रुपये 1.20 लाख से अधिक न हो। आवेदन की प्रक्रिया- 1. उपरोक्तानुसार उल्लेखित किसी भी स्तर की परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर आवेदक को अपना आवेदन निर्धारित प्रपत्र में करना होगा तथा आवेदन-पत्र के साथ परीक्षा में सफल होने का प्रमाण-पत्र। 2. निर्धारित जाति, आय एवं मूल निवासी प्रमाण-पत्र संलग्न करना होगा। संपर्क- संबंधित जिले के सहायक आयुक्त#जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग। विभागीय छात्रावास में रोजगारोन्मुखी उद्देश्य- विभागीय छात्रावासों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को रोजगारोन्मुखी कम्प्यूटर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराना। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- यह योजना जिला स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र एवं पोस्टमैट्रिक छात्रावासों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए लागू की गई है जिसमें विभागीय छात्रावासों में रोजगारोन्मुखी कम्प्यूटर प्रशिक्षण मेपसेट द्वारा दिया जाता है। योजना में त्रिस्तरीय प्रशिक्षण दिया जायेगा:- 1. डाटा एन्ट्री ऑपरेटर कम ऑफिस असिस्टेंट। 2. फायनेंशियल एकाउन्टेंट एण्ड डाटा बेस मेनजमेंट। 3. डी.टी.पी. एण्ड स्क्रीन प्रिटिंग। पात्रता- उत्कृष्ट छात्रावास एवं पोस्टमैट्रिक छात्रावासों में अध्ययनरत 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं। संपर्क- संबंधित जिले के सहायक आयुक्त#जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं संबंधित छात्रावास अधीक्षक। परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र उद्देश्य- अनुसूचित जाति जनजाति के स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे पी.एम.टी., पी.ई.टी. पी.ए.टी. के लिये प्रशिक्षित करना। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- प्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, सागर, इन्दौर, जबलपुर, मुरैना, रीवा संभागों में परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित है। प्रशिक्षण अवधि में प्रत्येक प्रशिक्षणार्थियों को शिष्यवृत्ति एवं छात्रावास सुविधा प्रदान की जाती है। हितग्राही चयन प्रक्रिया- विज्ञापन द्वारा आवेदन-पत्र बुलाये जाकर संबंधित प्रशिक्षण केन्द्र के प्राचार्य प्रावीण्य सूची के अनुसार छात्रों का चयन करते हैं। संपर्क- संचालनालय अनुसूचित जाति विकास, कुलपति सचिव भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल। प्राचार्य, परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र, भोपाल, ग्वालियर, सागर, मुरैना, रीवा, जबलपुर, इन्दौर। अनुसूचित जाति#जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण योजना का स्वरूप- अनुसूचित जाति#जनजाति की बस्तियों#मजरे#टोलों आदि जहां मुख्य ग्राम से विद्युत लाईन नहीं पहुंची हो, ऐसे ग्रामों#बस्तियों में प्रकाश व्यवस्था के लिए विद्युत लाईन का विस्तार किया जाता है। योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति#जनजाति बस्ती में एकल बत्ती कनेक्शन#स्ट्रीट लाईट विद्युत लाईन के विकास के अतिरिक्त अनुसूचित जाति#जनजाति के कृषकों के कुओं तक सिंचाई पंपों के उर्जीकरण के लिए नि:शुल्क विद्युत की सर्विस लाईन पहुंचाई जाती है। जिससे अनुसूचित जाति के गरीब लघु एवं सीमांत कृषक अपने छोटे-छोटे खेतों की सिंचाई कर आर्थिक लाभ उठा सकें। पात्र हितग्राही- अनुसूचित जाति#जनजाति बाहुल्य बस्तियों में जहां कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति#जनजाति के हों में रहने वाले लोग एवं आर्थिक दृष्टि से कमजोर, लघु एवं सीमांत कृषक। संपर्क- सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास#जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग#मुख्य कार्यपालन यंत्री, म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल। अनुसूचित जाति जनजाति राहत योजना नियम- 1979 उद्देश्य- असहाय, संकटापन अनुसूचित जाति के बीमार, निराश्रित एवं विकलांग व्यक्तियों की सहायता करना। योजना का स्वरूप- योजनान्तर्गत ऐसे जरूरतमंद अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को तुरंत आर्थिक सहायता पहुंचाई जाती है जो अपनी निर्धनता और असहाय अवस्था के कारण संकटापन की स्थिति में हों तथा जिन्हें शासन की अन्य योजनाओं से सहायता मिलने की संभावना न हो। पात्रता- अपाहिज#अंधे#निराश्रित वृध्द और ऐसे परिवार जिसकी देखभाल करने वाला कोई न हो अथवा ऐसा परिवार जिसके मुखिया का निधन हो गया हो और परिवार के भरण-पोषण की कोई तत्काल व्यवस्था नहीं हो पा रही हो। ऐसे व्यक्ति#परिवार को जिला कलेक्टर द्वारा रुपये 2000#- तक एकमुश्त आर्थिक सहायता की जाती है। सहायता हेतु आवेदन संपर्क- जरूरतमंद व्यक्ति द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए एक आवेदन-पत्र जिसमें नाम, पता, सहायता, बीमारी की स्थिति में चिकित्सक का प्रमाण-पत्र, जाति एवं मूल निवासी प्रमाण पत्र संलग्न कर कलेक्टर#सहायक आयुक्त#जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं मण्डल संयोजक को दे सकते हैं। विधि स्नातकों को आर्थिक सहायता उद्देश्य- विधि स्नातकों को विधि व्यवसाय में सुप्रशिक्षित कर स्वावलम्बी जीवन व्यतीत करने के लिये प्रेरित करना। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- मध्यप्रदेश के सभी जिलों में अनुसूचित जाति के विधि स्नातकों का परीक्षण कर 200#- रुपये प्रतिमाह एक वर्ष के लिये स्वीकृत किये जाते है। हितग्राही चयन प्रक्रिया- विधि स्नातकों के आवेदन पत्र, जिनमें बार कौंसिल का प्रमाण पत्र, विधि परीक्षा की अंकसूची संलग्न हो, का परीक्षण जिला कार्यालय में किया जाकर हितग्राही का चयन किया जाता है। पात्र हितग्राही- अनुसूचित जाति के विधि स्नातक। संपर्क- प्राप्त आवेदन पत्रों का परीक्षण जिला कार्यालय में किया जाता है। संबंधित जिलों के जिला संयोजक#सहायक आयुक्त द्वारा योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाता है। अस्पृश्यता निवारण के लिये अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार उद्देश्य- अस्पृश्यता निवारण के लिये अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देना। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश में निवासरत अनुसूचित जातियों के लिये यह योजना संचालित है। हितग्राही चयन प्रक्रिया- विवाहित दम्पत्ति में वर अथवा संपर्क- जिला संयोजक#सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आकस्मिकता योजना नियम-1995 उद्देश्य- पीड़ित अनुसूचित जाति#अनुसूचित जनजाति के परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना। योजना का स्वरूप कार्यक्षेत्र एवं पुनर्वास सुविधा- पीड़ित, विपन्नता तथा असहाय अवस्था के कारण संकट से ग्रस्त अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को इस कार्यक्रम के माध्यम से निम्नानुसार त्वरित सहायता पहुंचाई जाती है।
पात्रता- अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के सभी पीड़ित व्यक्ति जो कि सामान्य वर्ग द्वारा किये गये अत्याचार से पीड़ित हों। संपर्क- आवेदन पत्र जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, अनुसूचित जाति कल्याण थाने, सहायक आयुक्त अथवा जिला संयोजक को प्रस्तुत करना चाहिये।
मध्यप्रदेश रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद, (मेपसेट) की योजनायें योजना- अनुसूचित जाति के शिक्षित बेरोजगारों इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में स्वरोजगार प्रशिक्षण योजना। उद्देश्य- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों में तकनीकी कुशलता एवं उद्यमिता का विकास। योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- मेपसेट द्वारा मुख्यत: इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित विभिन्न विशिष्ट पाठयक्रमों में बाजार की मांग के अनुसार लोकप्रिय व्यवसायों में स्वरोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश स्तर पर किया जाता है। प्रशिक्षण हेतु छात्र-छात्राओं का चयन- मेपसेट द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रशिक्षणार्थियों के चयन हेतु स्थानीय समाचार-पत्रों में विज्ञप्ति का प्रसारण कर इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन प्राप्त किये जाते हैं। प्राप्त आवेदनों से प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम योग्यता के आधार पर प्रावीण्य सूची के क्रम में व्यावसायिक परामर्श पश्चात् प्रशिक्षण में प्रवेश दिया जाता है। संपर्क- मध्यप्रदेश रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद् मेपसेट, 35 श्यामला हिल्स, राजीव गांधी भवन, भोपाल। राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम, फरीदाबाद द्वारा संचालित योजना उद्देश्य- अनुसूचित जाति के वे लोग जो कम से कम 40 प्रतिशत शारीरिक#मानसिक रूप से विकलांग, के आर्थिक उत्थान हेतु। योजना का स्वरूप- इस योजनान्तर्गत राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम फरीदाबाद (हरियाणा) द्वारा रुपये पचास हजार तक की इकाई लागत की संपूर्ण राशि इस निगम को उपलब्ध कराई जाती है और इस निगम द्वारा हितग्राही को इकाई लागत की संपूर्ण राशि ऋण के रूप में प्रदाय की जाती है। कार्य जिनके लिए वित्तीय सहायता- फुटकर व्यवसाय हेतु। योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश। हितग्राही चयन प्रक्रिया- जिला सरकार अंतर्गत जिला योजना समिति द्वारा किया जाता है। पात्र हितग्राही- अनुसूचित जाति का हो, जिले का मूल निवासी हो, राशन कार्डधारी हो। (परिवार परिचय पत्र) पूर्व में कहीं से ऋण न लिया हो का शपथ-पत्र। वार्षिक आय- हितग्राही की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में रुपये 79,880 एवं शहरी क्षेत्र में रुपये 1,06,030 से अधिक न हो। संपर्क- जिलास्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास उद्देश्य- सफाई कामगार जो मैला सफाई जैसे अमानवीय कार्य में लगे है, को मुक्त कराकर उनके रूचि अनुसार धंधे में स्थापित करना। योजना का स्वरूप- यह निगम हितग्राही को छ: प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराता है। कार्य जिसके लिए वित्तीय सहायता दी जा सकती है- ऑटो (डिलिवरी वेन) एवं ऑटो ट्रेलर। योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश। पात्र हितग्राही- सफाई कामगार को जिले का मूल निवासी होना चाहिए, वैध ड्रायविंग कामर्शियल लायसेंस हो, राशन कार्ड (परिवार परिचय पत्र) हो। पूर्व में कहीं से ऋण न लिया हो का शपथ पत्र। वार्षिक आय- हितग्राही की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 31,952#-शहरी क्षेत्र में 42,412#-, से अधिक न हो (गरीबी रेखा से दुगनी)। ऋण वसूली- प्रदत्त ऋण मय ब्याज 60 समान किश्तों में चुकाना होगा। संपर्क- जिला स्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति, जनजाति कार्य जिसके लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है। 1. कृषि क्षेत्र- ट्रेक्टर ट्राली 2. सेवा क्षेत्र- जैसे- टेंट हाउस, बेण्डपार्टी, ब्यूटी पार्लर, डी.टी.पी. (कम्प्यूटर) जूता-चप्पल, शूकरपालन आदि। 3. परिवहन- जैसे- आटो रिक्शा, डीजल, पेट्रोल। पात्रता 1. दुगनी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाला। 2. अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र राजस्व अधिकारी द्वारा दिया गया हो। 3. जिले का मूल निवासी। 4. वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 31952#- एवं शहरी क्षेत्र में रुपये 42412#- से अधिक न हो। 5. पूर्व में कहीं से ऋण नहीं लिया हो, उसका शपथ-पत्र। 6. राशन कार्ड (फेमिली परिचय पत्र) प्रक्रिया- योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने के इच्छुक योग्य व्यक्ति को जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति के कार्यपालन अधिकारी से या एक छत के नीचे रोजगारोन्मुखी व्यवस्था के तहत जिला उद्योग व्यापार केन्द्र के महाप्रबंधक से संपर्क करना ऋण के प्रकार- निगम द्वारा सावधि ऋण (टर्नलोन) उपलब्ध कराया जाता है, जिसके अंतर्गत लागत का 60 प्रतिशत ऋण दिया जाता है, परियोजना लागत की शेष राशि राज्य एजेन्सी एवं हितग्राही द्वारा वहन की जाती है। ऋण वसूली- प्रदत्त ऋण मय ब्याज 60 समान मासिक किश्तों में चुकाना होगा। संपर्क- जिला स्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। स्वरोजगार योजना उद्देश्य- अनुसूचित जाति के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों का आर्थिक उत्थान करना। योजना का स्वरूप- इस योजना में बेरोजगारों को लघु कुटीर एवं व्यापार के लिये बैंकों से ऋण उपलब्ध कराना योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश। पात्र हितग्राही- अनुसूचित जाति का सदस्य हो, जिले का मूल निवासी हो, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने का प्रमाण-पत्र, राशन कार्ड (परिवार परिचय पत्र) जाति प्रमाण पत्र पूर्व में कहीं से ऋण न लिया हो का शपथ पत्र। वार्षिक आय- हितग्राही की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में 15,97#- एवं शहरी क्षेत्र में 21,206#- से अधिक न हो के संबंध में राजस्व अधिकारी का प्रमाण पत्र। संपर्क- जिलास्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। प्रतिष्ठा पुनर्वास योजना उद्देश्य- सफाई कामगार जो मैला सफाई जैसे अमानवीय कार्य में लगे है, को मुक्त कराकर उनके रूचि अनुसार धंधे में प्रतिस्थापित करना। योजना का स्वरूप- इस योजनांतर्गत सफाई कामगारों को लघु उद्योग, कुटीर उद्योग एवं व्यापार के लिये बैंकों से योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश है। पात्र हितग्राही- जिले की सर्वे सूची में नाम हो, सफाई कामगार हो, जिले का मूल निवासी हो, जाति बंधन नहीं। आय बंधन नहीं। पूर्व में कहीं से ऋण न लिया हो का शपथ पत्र होना अनिवार्य है। संपर्क- जिला स्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम फरीदाबाद द्वारा संचालित योजनायें उद्देश्य- अनुसूचित जाति के वे लोग जो कम से कम 40 प्रतिशत शारीरिक#मानसिक रूप से विकलांग हों के आर्थिक उत्थान के लिए फुटकर व्यवसाय हेतु वित्तीय सहायता। योजना का स्वरूप- इस योजनांतर्गत रुपये 50.00 हजार योजना का कार्यक्षेत्र- संपूर्ण मध्यप्रदेश है। पात्र हितग्राही- अनुसूचित जाति का हो, जिले का मूल निवासी हो, राशन कार्डधारी हो। (परिवार परिचय पत्र) पूर्व में कहीं से ऋण न लिया हो का शपथ-पत्र। वार्षिक आय- हितग्राही की वार्षिक आय ग्रामीण में क्षेत्र में रुपये 79880#- एवं शहरी क्षेत्र में रुपये 1,06030#- से अधिक न हो। संपर्क- जिला स्तर पर कार्यपालन अधिकारी, जिला अन्त्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। लघु एवं वित्त व्यवस्था परिचय- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम नई दिल्ली द्वारा लघु ऋण वित्त व्यवस्था (माइक्रो क्रेडिट स्कीम) लागू की गई है। इस योजना का संचालन म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा म.प्र. में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत सफाई कामगारों को रुपये 10,000#- तक का ऋण उपलब्ध कराया जावेगा। लाभान्वित हितग्राहियों से छ: प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जावेगा। प्रदाय ऋण तीन वर्षो में हितग्राहियों को चुकाना होगा। इसी प्रकार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा भी लघु ऋण वित्त व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें परियोजना के पूरी लागत अधिकतम राशि रुपये 25,000#- तक ऋण दिया जायेगा। हितग्राहियों से सात प्रतिशत ब्याज लिया जा सकता है। दुगनी गरीबी रेखा से कम आय तथा अनुसूचित जाति के व्यक्ति ही इस योजना के पात्र होंगे। इस योजना के अंतर्गत ऋण लेने वाले लाभार्थी राष्ट्रीय निगम की अन्य योजनाओं के अंतर्गत भी ऋण हेतु आवेदन कर सकता है। संपर्क- प्रबंध संचालक, अनुसूचित वित्त एवं विकास निगम, भोपाल जिला स्तरीय कार्यालय अधिकारी जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति मर्यादित। |