उद्देश्य- प्रदेश के शहरों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को रोज़गार के अवसर देकर उनका जीवन स्तर उन्नत करना।
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- योजना में हितग्राही मूलक निम्नलिखित कार्यक्रम क्रियान्वित किये जाते हैं-
अ. शहरी स्वरोज़गार कार्यक्रम : इसमें शहरी गरीबों को स्वरोज़गार में लगाने के लिए बैंकों से ऋण-अनुदान दिलाकर स्वरोज़गार के लिए तकनीकी सहायता दी जाती है। कार्यक्रम में स्थापित व्यवसाय पर लागत का 15 प्रतिशत या अधिकतम रुपये 7500 का अनुदान शासन द्वारा हितग्राहियों को दिया जाता है। लागत की 80 प्रतिशत राशि या अधिकतम 40,000 रुपये का ऋण व्यावसायिक बैंकों से उपलब्ध करवाया जाता है। शेष पांच प्रतिशत राशि मार्जिन मनी के रूप में हितग्राही को स्वयं लगाना होती है।
ब. शहरी स्वरोज़गार कार्यक्रम (प्रशिक्षण) : इसमें व्यवसाय स्थापित करने के लिए हितग्राहियों के कौशल उन्नयन की व्यवस्था की गयी है। प्रशिक्षण के लिए प्रति हितग्राही रुपये 2000 तक व्यय करने का प्रावधान है। यह प्रशिक्षण दो से छह माह अथवा कम से कम 300 घण्टे तक हितग्राहियो को देने का प्रावधान है।
स. अधोसंरचनात्मक सहायता : इसमें सेवा केन्द्रों की स्थापना, प्रशिक्षण संस्थाओं और प्रशिक्षणार्थियों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
स. शहरी मजदूरी रोज़गार कार्यक्रम : जो शहरी गरीब स्वरोज़गार कार्यक्रम के अंतर्गत व्यवसाय स्थापित नहीं कर सकते अथवा पढ़े-लिखे नहीं हैं और जो रोज़गार चाहते हैं उन्हें इस कार्यक्रम के अंतर्गत मज़दूरी के जरिए रोज़गार दिया जाता है। ऐसा रोज़गार सार्वजनिक उपयोग की परिसम्पत्तियों के निर्माण में मजदूरी के द्वारा दिया जाता है।
द. महिलाओं और बच्चों का विकास कार्यक्रम : कम से कम दस शहरी गरीब महिलाओं के एक समूह को सामूहिक स्वरोज़गार स्थापित करने के लिए व्यवसाय की लागत की 50 प्रतिशत राशि अधिकतम रुपये 1,25,000 अनुदान के रूप में देने का प्रावधान है। पांच प्रतिशत राशि हितग्राहियों को मार्जिन मनी के रूप में स्वयं लगाना होती है। 45 प्रतिशत राशि वाणिज्यिक बैंक से ऋण के रूप में मिलती है।
इ. बचत और साख समूह : छोटी-छोटी बचतों को प्रोत्साहित करने के लिए शहरी गरीबों में बचत की आदत डालने के लिए बचत और साख समूह गठित करने का प्रावधान है। बचत समूहों द्वारा एक वर्ष तक नियमित बचत करने पर उन्हें सरकार की ओर से रुपये 25,000 अनुदान के रूप में एक बार देने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त समूह के सदस्यों द्वारा एक वर्ष में 500 रुपये तक बचाने पर रुपये 30 से 750 रुपये बचाने पर रुपये 60 का अनुदान उनके बीमे की किश्त के रूप में भुगतान करने का प्रावधान है।
पात्र हितग्राही- गरीबी रेखा नीचे जीवन यापन करने वाले शहरी गरीब।
हितग्राही चयन प्रक्रिया- शहरों के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार जिनके नाम शहरी गरीबी की सर्वे सूची में शामिल किये गये है।
संपर्क- जिला शहरी विकास अभिकरण अथवा संबंधित नगरीय निकाय।