दिरांग, 23 जुलाई 2020: दूध से विभिन्न मूल्य वर्धित उत्पाद बना कर जनजातीय समुदाय के युवाओं की आय अर्जन करने के उद्देश्य से भा. कृ. अनु. प. – राष्ट्रीय याक अनुसन्धान केंद्र, दिरांग ने संस्थान की जनजातीय उपयोजना के तहत एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “गुणवत्ता नियंत्रण और याक दूध के प्रसंस्करण” पर दिनांक 21.07.2020 से 23.07.2020 तक आयोजन किया गया। COVID-19 महामारी में स्वच्छता के महत्व को ध्यान में रखते हुए,स्वच्छता एवं गुणवत्ता नियंत्रण के माध्यम से दूध और दूध उत्पादों से आय स्थिर रखने के लिए, इस प्रशिक्षण का समन्वयन डॉ. तरुण पाल सिंह, डॉ. जोकेन बाम और श्री पी. नामजे ने किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को स्वच्छ दूध उत्पादन और प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से ऐसी परिस्थितयों में स्वच्छता एवं गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के ऊपर प्रशिक्षण प्रदान करना था। प्रशिक्षण में, उपभोक्ताओं को स्वस्थ पशु से सुरक्षित दूध सुनिश्चित करने के लिए, दूध दोहने के पहले और बाद के उपायों पर व्याख्यान शामिल था।
प्रतिभागियों को क्रीम, घी, दही, लस्सी, श्रीखंड, कलाकंद, खोआ, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, पनीर, पनीर मुरकी, पनीर पकोड़ा, खीर, मट्ठा पेय जैसे विभिन्न मूल्य वर्धित याक दूध उत्पादों के प्रसंस्करण पर व्यापक प्रशिक्षण दिया गया। संगठनात्मक मूल्यांकन और विपणन के लिए, पैकेजिंग और प्रस्तुति के संदर्भ में, गुणवत्ता की जाँच भी, प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू था। यह कार्यक्रम जनजातीय समुदायों की क्षमता निर्माण के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी की “आत्मनिर्भर भारत” योजना के लिए एक प्रारंभिक प्रयास हो सकता है। दिरांग सब-डिवीजन के अंतर्गत आने वाले सांगती, थेम्बांग, नामशू, ज्योतिनगर और येवांग गांवों के कुल तेरह (13) आदिवासी युवाओं और युवतियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। इस महत्वपूर्ण विषय में, सफलतापूर्वक प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए, डॉ.पी. चक्रवर्ती, निदेशक (प्रभारी) ने डॉ. टी.पी. सिंह और उनके सह-सहयोगियों को बधाई दी और प्रतिभागियों से इस प्रशिक्षण से अर्जित ज्ञान को आत्मनिर्भर बनने के लिए उपयोग में जल्द से जल्द लाने की अपील की।