‘सरकार के प्रयासों की वजह से करियर बनाने के लिहाज से कृषि क्षेत्र एक उत्तम स्थान है। पर मिलेनियल पीढ़ी कृषि क्षेत्र में रोजगार नहीं चाहती है।
एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि रोजगार सुरक्षा की कमी, क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में जागरूकता का अभाव तथा उद्यमशीलता की भावना की कमी के कारण देश की मिलेनियल पीढ़ी कृषि क्षेत्र में करियर बनाने के प्रति सबसे कम रुचि है। मिलेनियल पीढ़ी में वर्ष 1981 से वर्ष 1996 के दौरान जन्म लेने वाली पीढ़ी की गणना की जाती है।
इसमें कहा गया है कि कैलेंडर वर्ष 2017 के दौरान हर सप्ताह कृषि संबंधित नौकरी खोजों (सर्च) की औसत संख्या में 25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया है कि जिस तेज गति से किसान मशीनीकरण की ओर बढ़े हैं, उसको देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति सरकार के वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है।’
जॉब वेबसाइट इन्डीड के कराए गए इस अध्ययन के अनुसार 21 से 25 साल के आयु वर्ग के नौकरी चाहने वाली मिलेनियल पीढ़ी कृषि क्षेत्र में रोजगार नहीं चाहती। एक बयान में कहा गया है कि नौकरी की सुरक्षा का अभाव, इस क्षेत्र की संभावनाओं के बारे में कम जागरूकता और उद्यमशीलता की भावना की कमी को इस क्षेत्र में नए आगन्तुकों के प्रवेश के लिए बड़ी बाधा माना जाता है।
इसमें कहा गया है, हालांकि, 31 से 35 वर्षीय आयु वर्ग की इस क्षेत्र की नौकरियों के प्रति औसत दर से अधिक रुचि है। उनके संबंध में माना जाता है कि उन्होंने संभवत: इन बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल अर्जित कर लिया है।
अध्ययन इस बात की ओर भी संकेत करता है कि वर्ष 2007 से इस क्षेत्र में लगे युवाओं की संख्या में चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है।” ये सभी आंकड़े इस क्षेत्र में रोजगार में संभावित बढ़ोतरी होने की ओर इशारा करती हैं, बशर्ते तैयार हुई नौकरियों को औपचारिक स्वरूप प्रदान किया जा सके।
कृषि क्षेत्र के विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों को देखते हुए, समय की मांग है कि नौकरी चाहने वालों को खेती और कृषि संबंधी बाजार में जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
इन्डीड इंडिया के प्रबंध निदेशक शशि कुमार ने कहा, “आज भारत में सरकार के देश की उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयासों को देखते हुए, करियर बनाने के लिहाज से कृषि क्षेत्र एक उत्तम स्थान है।”