द्देश्य- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के युवाओं को उच्च तकनीकी क्षेत्र में प्रशिक्षित कर उनके लिए रोज़गार सुनिश्चित करना।
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- पात्र युवाओं को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं, शासकीय पोलिटेक्निक महाविद्यालयों एवं भारत-जर्मन तकनीकी सहयोग से बनी संस्था ‘सेन्टर फॉर रिसर्च एण्ड इण्डस्ट्रीयल स्टाफ परफार्मेन्स (क्रिस्प) में प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षणार्थियों को विशेष पठन-पाठन सामग्री और 500#- रु. प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जायेगी। प्रशिक्षण के बाद उनको राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है। कार्यक्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश।
पात्र हितग्राही- इस प्रशिक्षण के लिए युवाओं को मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना और हायर सेकेण्ड्री परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। महिलाओं और नि:शक्तजनों के लिए आरक्षण है।
सम्पर्क- उपरोक्त संस्थायें।
ग्रामीण इंजीनियर योजना
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- योजना के अंतर्गत ग्रामीण इंजीनियर उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण नि:शुल्क दिया जाता है। इसमें प्रत्येक ग्राम के चयनित एक युवा को 110 दिन की अवधि में तीन व्यवसाय मेसन, इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। दक्षता आधारित इस प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थियों को 500#- प्रति माह छात्रवृत्ति दी जाती है। प्रशिक्षण के बाद राज्य व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद का प्रमाण पत्र दिया जाता है। प्रशिक्षण का क्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश।
पात्र हितग्राही- एक गांव से एक उम्मीदवार का चयन किया जाता है जिसकी आयु 30 वर्ष से अधिक न हो और (10अ2) हायर सेकण्डरी उत्तीर्ण हो। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के दसवीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों को भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षण संचालित किया जाता है।
सम्पर्क- औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान।