उद्देश्य- फलरोपण क्षेत्र में वृद्धि।
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- जो कृषक ऋण नहीं लेना चाहते हैं उन्हें विभागीय योजनाओं में आम, संतरा, नीबू, आँवला, अमरूद एवं अनार का बगीचा लगाने के लिए नाबार्ड द्वारा प्रति हैक्टर निर्धारित लागत मूल्य का 25।़ अनुदान दिया जाता है। अंगूर, केला एवं पपीता फल पौध रोपण पर अनुदान केवल बैंक ऋण पर ही देय होगा। भूमि व जलवायु की उपयुक्तता के आधार पर उक्त फसलों को विभागीय योजना के तहत निम्नानुसार जिलों में क्रियान्वित किया गया है।
आम (39) जिले- रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, जबलपुर, उमरिया, कटनी, मण्डला, सिवनी, बालाघाट, भोपाल, रायसेन, विदिशा, बैतूल, डिण्डोरी, हरदा, टीकमगढ़, पन्ना, इन्दौर, होशंगाबाद, सागर, दमोह, छतरपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, धार, झाबुआ, रतलाम, ग्वालियर, राजगढ़, सीहोर एवं अनूपपुर।
संतरा (22) जिले- छिंदवाड़ा, उज्जैन, मंदसौर, शाजापुर, नीमच, देवास, रतलाम, राजगढ़, बैतूल, हरदा, गुना, होशंगाबाद, खरगौन, खण्डवा, बड़वानी, सीहोर, रायसेन, विदिशा, जबलपुर, सिवनी, बुरहानपुर एवं अशोकनगर।
नीबू (32) जिले- नरसिंहपुर, मण्डला, डिण्डोरी, छतरपुर, पन्ना, दमोह, धार, खरगौन, हरदा, खण्डवा, देवास, सीहोर, विदिशा, शिवपुरी, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, गुना, दतिया, रीवा, सतना, रायसेन, होशंगाबाद, श्योपुर, बड़वानी, रतलाम, कटनी, उज्जैन, छिंदवाड़ा, सागर, टीकमगढ़ एवं बुरहानपुर।
केला (9) जिले- बालाघाट, मण्डला, धार, खरगौन, हरदा, बड़वानी, डिण्डोरी, होशंगाबाद और देवास ।
पपीता (27) जिले- भोपाल, सीहोर, रायसेन, इन्दौर, खंडवा, बड़वानी, खरगौन, धार, नीमच, हरदा, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, होशंगाबाद, रीवा, सतना, ग्वालियर, शिवपुरी, मुरैना, श्योपुर, छतरपुर, जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, कटनी, सागर एवं बुरहानपुर।
अंगूर (9) जिले- बैंक पर रतलाम, उज्जैन, देवास, इन्दौर, धार, खरगौन, खण्डवा, बड़वानी, एवं बुरहानपुर।
आंवला (48) जिले- वर्ष 2006-07 से प्रदेश के सभी जिलों में।
अमरूद (48) जिले- वर्ष 2006-07 से प्रदेश के सभी जिलों में।
अनार (9) जिले- धार, झाबुआ, खरगौन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, भोपाल एवं राजगढ़ष
पात्र हितग्राही- सुनिश्चित सिंचाई के साधन वाले वर्गों के कृषकों को एक समान लाभ दिया जाता है।
हितग्राही चयन प्रक्रिया- एक कृषक को कम से कम 1/4 हैक्टर और अधिकतम 2 हैक्टर तक ही लाभ मिल सकेगा। पश्चातवर्ती वर्षों में अनुदान की पात्रता 80।़ पौधे जीवित रहने पर होगी। योजना में आवश्यक फल पौध उद्यानिकी विभाग के माध्यम से प्रदाय किए जाते हैं जिसका समायोजन अनुदान राशि से किया जाता है। जिन कृषकों को अनुदान स्वीकृत किया जाता है उन्हें दो दिवसीय प्रशिक्षण, विशेषज्ञों से दिए जाने का प्रावधान है।
संपर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।
टॉप वर्किंग
उद्देश्य- फल उत्पादन में वृद्धि।
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- ग्रामीण बेरोज़गार युवकों को देशी बेर, आँवला और आम के वृक्षों की टॉप वर्किंग कर व्यवसायिक किस्मों में परिवर्तन करने का 20 दिवसीय प्रशिक्षण रुपये 200 प्रति प्रशिक्षणार्थी की छात्रवृत्ति देकर करवाया जाता है। प्रशिक्षण के बाद इन्हे रुपये 400 के टूल किट दिये जाते है। इन्हीं प्रशिक्षित युवकों द्वारा गांवों में टॉप वर्किंग करने पर रुपये 10 प्रति सफल ग्राफ्ट पर मेहनताना दिया जाता है। योजना प्रदेश के संपूर्ण जिलों में क्रियान्वित है।
पात्र हितग्राही- सभी वर्गों के कृषकों को एक समान सहायता मिलती है।
संपर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।
केला प्रदर्शन
उद्देश्य- केला रोपण के क्षेत्र एवं उत्पादन में वृद्धि।
योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- कृषकों के खेतों में केले के 1/25 हैक्टर (400 वर्गमीटर) के प्रदर्शन डाले जाते हैं। प्रदर्शन के लिए प्रति प्रदर्शन 2250/- रुपये अनुदान दिया जाता है। ये प्रदर्शन उपयुक्त जलवायु वाले क्षेत्र में जहाँ केले की खेती का प्रचलन नहीं है, उन क्षेत्रों में डाले जाते है। अनुदान राशि नगद न देकर केला के टिशु कल्चर से तैयार पौधे प्रदाय किए जाते हैं।
हितग्राही– सभी वर्गों के कृषक लाभांवित होते हैं।
हितग्राही चयन प्रक्रिया- कृषकों का चयन ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी के माध्यम से किया जाता है।
संपर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी/वरिष्ठ उद्यान विस्तार अधिकारी।
समन्वित सब्जी विकास
समन्वित सब्जी विकास- मध्यप्रदेश के समस्त जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर परिधि में सब्जी उत्पादन में वृद्धि की दृष्टि से योजना चलाई जा रही है। योजनांतर्गत सामान्य कृषकों को संकर सब्जी बीज एवं कीटनाशक औषधि के लिए रुपये 1500/- प्रति हेक्टर तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को रुपये 2250/- प्रति हेक्टर की दर से अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। बीज की व्यवस्था विभाग द्वारा की जाती है। प्रति हितग्राही न्यूनतम 0.1 हेक्टर एवं अधिकतम एक हेक्टर तक अनुदान का लाभ दिया जाता है।
बाड़ी (किचन गार्डन) कार्यक्रम- राज्य शासन की उच्च प्राथमिकता के कार्यक्रमों के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों तथा खेतीहार मजदूरों को बाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत रुपये 50 की सीमा तक के सब्जी बीजों के पैकेट उपलब्ध कराये जाते हैं।
आलू प्रदर्शन- रबी मौसम में आलू क्षेत्र विस्तार को
बढ़ावा देने के लिए आलू विकास योजना के अंतर्गत रुपये 500/- का अनुदान दिया जाता है। जिसके तहत 480/- रुपये का आलू बीज एवं 20/- रुपये की बीज उपचार औषधियां प्रदान की जाती है।
पुष्प विकास
पुष्प प्रदर्शन- प्रदेश में पुष्प क्षेत्र विस्तार एवं उत्पादन में वृद्धि करने के लिए प्रदर्शन की योजना स्वीकृत की गई है जिसमें गुलाब, रजनीगंधा, आस्टर, गेंदा, गुलदाउदी, ग्लेडीओलाई आदि प्रमुख पुष्पों के 0.04 हेक्टर (400 वर्ग मीटर पर) में कृषकों के यहां प्रदर्शन डाले जाते है। प्रति प्रदर्शन बीज, पौध, बल्व, सकर्स पर 4000/- रुपये के आधार पर प्रति प्रदर्शन 75 प्रतिशत या अधिकतम रुपये 3000/- जो भी कम हो अनुदान दिया जाता है।
सम्पर्क – ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।
मसाला विकास
मसाले वाली फसलों का मिनीकिट वितरण- योजना में अदरक, हल्दी, लहसुन, धनियां एवं मिर्च के मिनीकिट जिलों में वितरित किये जाते हैं।
इस योजना के तहत धानियां एवं मिर्च के लिए रुपये
100/- अदरक के लिए रुपये 350/- लहसुन एवं हल्दी के लिए रुपये 250/- के बीज मिनीकिट दिये जाते हैं।
संपर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।
औषधीय एवं सुगंधित फसलें
मिनीकिट वितरण- अजवाइन, इसबगोल, सर्पगंधा, अश्वगंधा, एवं अन्य फसलों के मिनीकिट रुपये 100/- की वित्तीय सीमा तक वितरण किये जाने का प्रावधान है।
प्रशिक्षण
मशरुम प्रशिक्षण- कृषकों को मशरूम उत्पादन का व्यवसायिक प्रशिक्षण देने के लिए रीवा, खण्डवा, शाजापुर, उज्जैन, ग्वालियर एवं सागर केन्द्रों में सात दिवसीय प्रशिक्षण
दिये जाने की व्यवस्था है। जिसमें कृषकों को यातायात, भोजन एवं आवास पर रुपये 500/- प्रति हितग्राही वित्तीय प्रावधान है।
फल संरक्षण परिरक्षण प्रशिक्षण केन्द्र- फल एवं सागभाजी के परिरक्षित पदार्थ जैसे- जैम, जैली, मुरब्बा अचार, चटनी, केचप, सॉस, शरबत आदि बनाने का प्रशिक्षण इन्दौर में महिलाओं को दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त सागर, होशंगाबाद, उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर एवं रीवा, में भी विभागीय तौर पर प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था की गई है।
सम्पर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।
संकर मिर्च उत्पादन योजना- गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे अनुसूचित जाति वर्ग के लिये वर्ष 2006-2007 से यह योजना प्रदेश के 37 जिलों में प्रारम्भ की गयी है। जिसमें न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर एवं अधिकतम 0.5 हेक्टेयर के लिये रुपये 7000/- की आदान सामग्री प्रदाय की जाती है।
सम्पर्क– ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी।