मानसून सीजन में अच्छी बारिश होने के अनुमान से किसान कुछ खास उत्साहित नहीं दिख रहे हैं जबकि बारिश अच्छी हो तो उपज बेहतर होने की उम्मीद मजबूत होती है। दरअसल कीटनाशकों पर 18 पर्सैंट जी.एस.टी. लगाने की बात तय की गई है। इससे किसानों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। फसलों की सुरक्षा में मदद देने वाले प्रोडक्ट्स हरित क्रांति का एक अहम हिस्सा हैं और यह उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आम आदमी और किसानों पर पड़ेगा दबाव
कृषि क्षेत्र मोटे तौर पर जी.एस.टी. से बचा रहेगा लेकिन खेती-बाड़ी में काम आने वाली चीजों की कीमत चढ़ने और उत्पादन की कीमतों में ठहराव रहने से किसान के पास इस लागत को बर्दाश्त करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचेगा। इस तरह उस पर बोझ बढ़ेगा। भारतीय किसान पहले ही कई मोर्चों पर बेतहाशा दबाव का सामना कर रहा है और टैक्सों का बढ़ा हुआ बोझ उसकी आमदनी में सेंध लगाएगा। अगर उपज की कीमतें किसी तरह बढ़ती भी हैं तो पूरे देश को दिक्कत होगी क्योंकि खाने-पीने के सामान के दाम चढ़ेंगे और इस तरह आम आदमी परेशानी में पड़ेगा।
10% से ज्यादा महंगे हो जाएंगे फर्टीलाइजर्स
देश में हर साल लगभग 22.4 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होता है। इस खाद्यान्न और अन्य फसलों को उगाने के लिए देश में हर साल किसान लगभग 550 लाख टन फर्टीलाइजर्स का इस्तेमाल करते हैं। अभी तक फर्टीलाइजर्स 0 से 8 फीसदी के टैक्स स्लैब में थे। लेकिन, जी.एस.टी. के बाद ये 12 फीसदी के स्लैब में आ जाएंगे। इसके अलावा डी.ए.पी., पोटास, एन.पी.के. आदि पर भी असर होगा।
बढ़ जाएंगे ट्रैक्टर के दाम
भारत में हर साल लगभग 6.5 लाख ट्रैक्टर की बिक्री होती है। ट्रैक्टर पर 12 फीसदी जी.एस.टी. लगाया जाएगा। इसका मुख्य कारण कंपनियों के लिए इनपुट कॉस्ट ज्यादा होना भी है। दरअसल, ट्रैक्टर निर्माण के लिए जरूरी कंपोनेंट्स पर 18 से 28 फीसदी जी.एस.टी. लगाया गया है जो कि, पहले 5 से 17 फीसदी तक रहता था। ऐसे में अब किसानों को ट्रैक्टर्स के लिए भी ज्यादा दाम चुकाने होंगे।
इन चीजों पर भी लगेगा 28% टैक्स
-रबड़ पर 28% टैक्स लगने से टायर महंगे होंगे, जिससे कृषि उपकरणों के टायरों की लागत बढ़ेगी।
-प्लास्टिक पाइप पर टैक्स लगने से सिंचाई, ट्यूबवैल निर्माण महंगा होगा।
-सबमर्सिबल पंप पर 28 प्रतिशत टैक्स लगने से इरीगेशन सिस्टम महंगा हो जाएगा।