जबलपुर. खेती में प्रयोग होने वाले आधुनिक कृषि यंत्र बहुत मंहगे होते हैं, जिन्हें आम किसान के लिये खरीद पाना संभव नहीं है. इसलिये कृषि मशीनरी केन्द्रों की स्थापना बहुत जरूरी है. यहां से किसान समयानुसार कृषि यंत्र किराये पर लेकर कम खर्च में खेती कर सकता है और खेती में लगने वाली लागत को बहुत कम किया जा सकता है.
तदाशय के सारगर्भित और प्रेरक विचार कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय स्थित कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के कृषि यंत्र एवं शाक्ति अभियांत्रिकी विभाग द्वारा आर.के.वी.वाई. परियोजना के अन्तर्गत कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय मप्र शासन भोपाल के सहयोग से कृषि मशीनरी के निजी कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना करने हेतु आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में व्यक्त किये.
इस 6 दिवसीय प्रषिक्षण में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 30 उद्यमियों को प्रशिक्षण के बाद प्रमाण-पत्र वितरित किये गए. प्रशिक्षण समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष डॉं. अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि प्रशिक्षितजन कृषि मशीनरी केन्द्रों की स्थापना करके स्वयं का व्यवसाय करने के साथ-साथ किसान भाईयों की मदद भी कर सकते हैं.
इन केन्द्रों में कृषि यंत्रों के साथ कृषि वैज्ञानिक, कृषि सलाहकार और कृषि योजनाकार जैसे विशेषज्ञों ंकी भी नियुक्ति कर सकते हैं, जो किसानों को उचित मार्गदर्शन देने में सक्षम हैं. समारोह में अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. पी.के. मिश्रा, संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. धीरेन्द्र खरे, संचालक विस्तार सेवायें डॉ. (श्रीमति) ओम गुप्ता, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी संकाय डॉं. आर.के. नेमा ने भी प्रशिक्षणाथियों को अपने विचारों से लाभांवित किया. इस दौरान प्रो. एन.क. खण्डेलवाल, प्रो. आर.के. दुबे, प्रो. धनंजय कदम, इंजी. आर.के. चैरसिया, इंजी. आर.के. राणा एवं इंजी. वी.वी. मौर्या की उपस्थिति सराहनीय रहीं. सह-समन्वयक प्रो. धनंजय कदम ने संचालन एवं आभार प्रदर्शन किया.