छोटी व मझोली जोत के किसानों के हितों के संरक्षण के लिए पर्याप्त वित्तीय मदद देने की सिफारिश राज्यपालों की उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपी अपनी रिपोर्ट में की है।
इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारों की हिस्सेदारी को 60-40 के अनुपात की जगह 90-10 फीसद करने का सुझाव दिया गया है। इसका सबसे अधिक फायदा उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उड़ीसा जैसे राज्यों को होगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय की महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को खेती से जोड़ने की सिफारिश भी इस रिपोर्ट में की गई है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती, घटते प्राकृतिक संसाधनों और छोटी होती जा रही जोत के साथ ही कृषि उत्पादों की उचित कीमत दिलाने की चुनौतियों से जूझ रही खेती को घाटे से उबारने के लिए राज्यपालों की उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी दी है।
समिति की सिफारिशों में खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जल सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया है। रिपोर्ट में घरेलू कृषि की हालत और अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों के हिसाब से सिफारिश की गई है। कृषि क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा करने और उसे सुलझाने के उपायों पर विस्तृत रिपोर्ट दी गई है।
मुख्य फसलों के अलावा अन्य फसलों के एमएसपी भी तय हो
राज्यपालों की समिति ने मुख्य फसलों के अलावा ग्वार, अरंडी, मसाले, अदरक, लहसुन, हल्दी तथा सुगंधित एवं औषधीय पौधों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की सिफारिश की है।
कुल 21 सिफारिशें सुझाई गई
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट में कुल 21 सिफारिशें की गई हैं। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिए राष्ट्रपति ने राज्यपालों की उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसमें हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यपाल शामिल थे।
जलवायु परिवर्तन से उत्पादकता में गिरावट अहम चुनौती
राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद राज्यपाल नाइक ने बताया कि पर्यावरण के बदलते परिवेश में कृषि क्षेत्र की चुनौतियां गंभीर होने लगी हैं। जलवायु परिवर्तन से जहां फसलों की उत्पादकता में गिरावट की अहम चुनौती है, वहीं लगताार घट रही जोत से किसानों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
कृषि की लागत में कमी कैसे लाई जाए
उन्होंने बताया कि किसानों की आमदनी को बढ़ाने के मकसद से कृषि की लागत में कमी लाने के कई उपाय इस रिपोर्ट में सुझाये गये हैं। इनमें उन्नत बीज, सिंचाई के आधुनिक तरीके, फसलों को जोखिम से बचाने के लिए सस्ती फसल बीमा योजना जैसे प्रावधानों का विशेष उल्लेख किया गया है।