किसानों का मुद्दा सड़क से लेकर संसद तक गूंज रहा है. वहीं, स्वराज अभियान संगठन के नेतृत्व में ‘किसान मुक्ति यात्रा’ बुधवार को दिल्ली पहुंच गई. यहां कई किसान, कार्यकर्ता और कुछ राजनीतिक नेता किसानों के लिए एकजुटता में इकट्ठा हुए हैं.
किसानों का मुद्दा सड़क से लेकर संसद तक गूंज रहा है. वहीं, स्वराज अभियान संगठन के नेतृत्व में ‘किसान मुक्ति यात्रा’ बुधवार को दिल्ली पहुंच गई. यहां कई किसान, कार्यकर्ता और कुछ राजनीतिक नेता किसानों के लिए एकजुटता में इकट्ठा हुए हैं.
किसान जंतर-मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. यह यात्रा 6 जुलाई को मध्य प्रदेश के मंदसौर से शुरू हुई थी और छह राज्यों से होते हुए दिल्ली पहुंची है.
स्वराज अभियान ने एक बयान में कहा कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर पूरे देश से किसान इकट्ठा हुए हैं. उनकी दो मांगे हैं, एक खेती को लाभकारी बनाया जाए और किसानों को ऋण मुक्त बनाया जाए.
‘देश किसानों के कर्ज में’
संगठन ने कहा कि किसान मंदसौर फायरिंग पर पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं, तमिलनाडु के किसानों ने भी अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करते हुए इस आंदोलन से जुड़ गए हैं.
सीपीआई (एम) महा सचिव सीताराम येचुरी ने कहा था, ‘मैं आपके साथ किसानों के अधिकारों के खिलाफ लड़ने की शपथ लेता हूं और आपसे वादा करता हूं कि लड़ाई को संसद तक ले जाउंगा.’
स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘इस देश में किसान कर्जे में नहीं हैं बल्कि देश पर किसानों का कर्ज है.’
संसद में किसानों का मुद्दा
मानसून सत्र के तीसरे दिन किसानों के मुद्दे पर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस की तरफ से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने किसानों का मुद्दा उठाया. उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को कीमत मिलने की जगह गोलियां दी जा रही हैं.
बता दें कि मध्यप्रदेश में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर कई दिनों तक प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद से वहां मामला काफी गर्म हो गया था. कांग्रेस ने जहां सरकार पर आरोप लगाया था, वहीं बीजेपी ने इस कांग्रेस की साजिश करार दी थी.