प्रदेश में कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन की बेहतर सुविधाओं संबंधी अनुशंसा करने के लिये ‘मध्यप्रदेश कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग’ का गठन गुरूवार, जून 22, 2017 को किया गया है। आयोग का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा आयोग के लिये यथा अपेक्षित प्रशासकीय अमला और बजट उपलब्ध करवाया जायेगा। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को वेतन भत्ते तथा अन्य सुविधाएँ देने के संबंध में अलग से आदेश जारी किये जायेंगे।
राज्य शासन द्वारा इस संबंध में जारी आदेशानुसार कृषि के क्षेत्र में अनुभवी व्यक्ति को इस आयोग का अध्यक्ष मनोनीत किया जायेगा। दो कृषक सदस्य शासन द्वारा मनोनीत किये जायेंगे, जो कृषि कार्य एवं कृषि विपणन के क्षेत्र में अनुभवी होंगे। साथ ही दो कृषि अर्थशास्त्रियों का आयोग में मनोनयन किया जायेगा। शासकीय प्रतिनिधि के रूप में पदेन कृषि उत्पादन आयुक्त एवं पदेन प्रमुख सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग आयोग में सदस्य रहेंगे। पदेन संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग आयोग के सचिव होंगे।
यह आयोग खरीफ, रबी तथा ग्रीष्मकालीन फसलों की लागत की गणना कर राज्य शासन को अनुशंसा करेगा। राज्य सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना में अपेक्षा किये जाने पर चयनित जिन्स की बाजार हस्तक्षेप दर के लिये राज्य शासन को सुझाव भी देगा। कृषि विपणन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिये सुझाव देने के साथ-साथ शासन के निर्देशानुसार समय-समय पर विभिन्न फसलों के लिये अध्ययन करेगा। इसी के साथ, आयोग शासन को आवश्यकतानुसार कृषि मूल्य संबंधी एवं अन्य उत्पादन संबंधी समस्याओं पर सलाह भी देगा। इसके अलावा आयोग राज्य शासन द्वारा सौंपे गये अन्य कार्य भी करेगा।
आयोग खरीफ, रबी एवं ग्रीष्मकालीन फसलों की अवधि से पहले प्रतिवर्ष राज्य शासन को तीन प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। आयोग की संचालन प्रक्रियाएँ तथा आपरेशनल गाईडलाइन आयोग द्वारा अनुशंसित किये जाने पर राज्य शासन द्वारा पृथक से जारी की जायेंगी। आयोग में अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति के लिये भी अलग से आदेश जारी किये जायेंगे।