नई दिल्ली। किसानों की आर्थिक खुशहाली के लिए महिलाओं को भी घरों से बाहर निकल कर खेती का काम संभालना चाहिए। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने यह विचार रखते हुए कहा कि जिन राज्यों में महिलाएं सहयोग कर रही है वहां किसान खुशहाल है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने पारिवारिक आर्थिक समृद्धि के लिए ग्रामीण महिलाओं से आगे आने का आज आह्वान करते हुए कहा कि जिन परिवारों में पुरुषों के साथ महिलायें कृषि कार्य में हाथ बटाती हैं वे ज्यादा खुशहाल है । श्री सिंह ने यहां राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से ‘महिला किसानों के अधिकारों की सुरक्षा – कार्रवाई के लिए एक रोडपैप की तैयारी’ विषय पर यहां आयोजित संगोष्ठी में कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात ,पंजाब और हरियाणा आदि राज्यों में कृषि कार्य एवं पशुपालन में महिलायेएं बढचढ कर हिस्सा लेती हैं जिसके कारण वहां ऐसे परिवारों में आर्थिक समृद्धि है । बिहार में भी कुछ परिवारों में महिलाएं बकरी और गाय पालन करती हैं और ऐसे परिवार ज्यादा खुशहाल है । उन्होंने कहा कि कुल कामकाजी महिलाओं में से 80 प्रतिशत महिलाएं कृषि कार्य में लगी हैं । इनमें से 33 प्रतिशत मजदूरी के काम में लगी हैं जबकि 47 प्रतिशत अपनी खेती के काम में लगी हैं । उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है कि महिलाएं कृषि कार्य की मुख्यधारा का हिस्सा बनें तथा कृषि उत्पादकता एवं उत्पादन बढाने और परिवार की आमदनी बढाने में आगे आयें । श्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन दशक में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों की संख्या में गिरावट आयी है । पुरुषों में यह संख्या 81 प्रतिशत से घटकर 63 प्रतिशत हो गयी है और महिलाओं की संख्या 88 प्रतिशत से घटकर 79 प्रतिशत हो गयी है । उन्होंने कृषि का ‘महिलाकरण’ करने पर जोर देतें हुए कहा कि भारत समेत अधिकतर विकासशील देशों की अर्थ व्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं का सबसे अधिक योगदान है । महिलाएं फसलों की बुआई , कटाई , सिंचाई ,निकाई , गुडायी , उर्वरक डालने , भंडारण और पाैधा संरक्षण में पुररुषों के साथ कार्य करती है । कृषि मंत्री ने कहा कि दक्षिण के राज्यों में महिलायें कृषि के साथ ही पशुपालन के अलावा मत्स्य पालन , मुर्गी पालन , सूअर पालन , मधुमक्खी पालन तथा मशरुम उत्पादन में बढचढ कर हिस्सा लेती है । उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय विभिन्न योजनाओं के लिए जो राशि आवंटित करता है उसमें से 30 प्रतिशत राशि महिला किसानों के लिए सुरक्षित रखी जाती है । उन्होंने कहा कि महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस मनाने की पहले ही घोषणा कर चुका है ।