मध्यप्रदेश ने शहीदों की स्म़ृति को चिर-स्थायी बनाने के अनेक काम किये हैं और आगे भी करेगा। नागरिक यह संकल्प लें कि देश के लिए हर बलिदान देने को तैयार रहेंगे।
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अब हमारा लक्ष्य प्रदेश को समृद्ध बनाने की ओर अग्रसर होना है। इसके लिए विकास और कल्याण के सभी क्षेत्रों में विभागवार पाँच साला रोडमैप पर कार्य होगा।
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विकास के लिये हम नियमित बजट प्रावधानों पर निर्भर न रहकर आय के अन्य स्त्रोत भी तलाश रहे हैं, ताकि समृद्ध प्रदेश के लिए धन की कमी आड़े न आये।
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नारो से आगे निकलकर बुनियादी सुविधा देकर गरीबी हटाने की हमारी प्रतिबद्धता है। समृद्ध मध्यप्रदेश में गरीबी का कोई स्थान नहीं होगा।
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देश और दुनिया की अनूठी मुख्यमंत्री जन-कल्याण योजना ‘संबल’ इसी वर्ष से लागू की गई है। यह योजना प्रदेश की लगभग आधी आबादी की रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, रोजगार जैसी मूलभूत चिंताओं को दूर करने में क्रांतिकारी होगी, ऐसा मेरा विश्वास हैं।
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हर व्यक्ति का सपना होता है अपना मकान। इसे पूरा करने में सरकार आगे आई है। 35 लाख से अधिक परिवारों को आवासीय भू-खण्ड मिल चुके हैं। शहरी क्षेत्र की शासकीय भूमि पर दिसम्बर 2014 तक निवासरत गरीबों को पट्टा दिया जा रहा है।
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ग्रामीण क्षेत्र के 94 प्रतिशत घरों में शौचालय सुविधा के साथ प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में है।
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पंजीकृत श्रमिकों और संन्निर्माण कर्मकारों को अधिकतम 200 रूपये प्रतिमाह की दर से जुलाई माह से सरल बिजली बिल देने प्रारंभ किया गया है।
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बकाया बिजली बिल माफी में 2018 तक की बकाया बिजली राशि सरचार्ज सहित सरकार अपने उपर लेने जा रही है।
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सौभाग्य योजना के तहत 31 जिलों में सभी घरों तक बिजली पहुँचाई जा चुकी है। अक्टूबर माह तक प्रदेश के घर में बिजली का प्रकाश लाने का हमारा लक्ष्य है।
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सभी ग्रामीण घरों को रोशन करने के लिए विभिन्न योजनाओं में 3 साल में 10 हजार करोड़ रूपये खर्च किए जायेंगे।
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प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में गरीब महिलाओं को 43 लाख नवीन गैस कनेक्शन नि:शुल्क उपलब्ध कराये जा चुके हैं।
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प्रथम चरण में सामान्य क्षेत्रों में 1000 और आदिवासी क्षेत्रों में 500 की आबादी वाले गाँवों तक नल-जल योजना पहुँचाने का कार्य किया जाएगा।
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इस वर्ष विभिन्न योजनाओं से किसानों के खातों में सीधे 35 हजार करोड़ रूपये की राशि पहुँचायी गयी है।
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प्याज के भंडारण हेतु 3 लाख मीट्रिक टन के भंडार क्षमता के भंडार गृह निर्मित किये गये हैं तथा 2 लाख क्षमता के भंडार गृह निर्माणाधीन हैं।
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सिंचाई क्षमता 80 लाख हेक्टेयर करने पर कार्य किया जा रहा है। सरकार सिंचाई परियोजनाओं में वर्ष 2024 तक 1 लाख 30 हजार करोड़ रूपये का निवेश करेगी।
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नर्मदा–मालवा लिंक परियोजनाओं से प्रदेश में 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।
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प्रदेश में ‘ग्राम सरोवर अभिकरण’ स्थापित किया जाएगा। यह अभिकरण पाँच वर्षों में पाँच हजार तालाब निर्मित करेगा।
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सरकार कृषि के सहयोगी क्षेत्रों को भी भरपूर बढ़ावा दे रही है। यही वजह है कि दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को देश में तीसरा स्थान प्राप्त हो गया है।
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प्रदेश का 98 प्रतिशत से अधिक जल-क्षेत्र मत्स्य-पालन में शामिल है।
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सरकार ने प्राकृतिक आपदा के लिए राहत राशि में अभूतपूर्व वृद्धि की है। पिछले साल कुछ जिलों में गंभीर सूखे की स्थिति में किसानों को एक हजार 420 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई।
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राजस्व राहत नियमों में राहत राशि को 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है, जो भारत सरकार के मापदण्डों से दुगुना है। केला फसल क्षति राहत 27 हजार से बढ़ाकर एक लाख प्रति हेक्टेयर अधिकतम 3 लाख प्रति कृषक की गई।
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प्रदेश देश में प्रथम ऐसा राज्य है जहाँ किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध कराया गया है।
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मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना लागू कर कालातीत ऋणों के ब्याज को माफ कर दिया गया है। मूल राशि के पुनर्भुगतान को किस्तों में करने की सुविधा दी गयी है।
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स्मार्ट सिटी परियोजना में 20 हजार करोड़ के निवेश की योजना है।
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अगले 3 वर्षों में प्रदेश का कोई भी नगरीय निकाय ऐसा नहीं होगा, जहाँ की पेयजल परियोजना अधूरी हो या जहाँ पर पेयजल का संकट हो।
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सभी संभागीय मुख्यालयों को फोर-लेन से तथा सभी जिला मुख्यालयों को टू-लेन से जोड़ने का कार्य आने वाले समय में प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा। चंबल एक्सप्रेस-वे जैसी महत्वपूर्ण सड़क निर्माण परियोजनाओं पर जोर दिया जाएगा।
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प्रदेश में इस वर्ष 300 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर प्रारंभ किए जाएँगे, जहाँ प्राथमिक चिकित्सा की लगभग सभी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
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प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में 48 अंकों की गिरावट की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर की गई है।
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डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के विस्तार का निर्णय लिया है।
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आने वाले समय में शहडोल, शिवपुरी, सतना और छिंदवाड़ा सहित 6 नए मेडिकल कॉलेज प्रदेश में कार्य करना प्रारंभ कर देंगे।
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स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता के सुधार के लिए ‘एक परिसर-एक शाला’ की अवधारणा प्रारंभ की जा रही है जिसके तहत एक परिसर में चलने वाली सभी तरह की शालाओं का एकीकरण कर एक ही विद्यालय के रूप में चलाया जाएगा।
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प्रदेश के प्रबुद्ध नागरिक मिल बाँचे कार्यक्रम में शामिल होकर बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक जगाये।
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वर्ष 2018 में प्रदेश में 44 नये शासकीय और 3 नये मॉडल कॉलेज की स्थापना।
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कक्षा बारहवीं के सभी विद्यार्थियों के लिए इस बार ‘हम छू लेंगे आसमान’ के नाम से कॅरियर काउंसलिंग का कार्यक्रम प्रारंभ।
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मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का विस्तार करते हुए मध्यप्रदेश बोर्ड परीक्षा में 70 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों को भी लाभ हेतु सम्मिलित किया गया। इस योजना का लाभ पंजीकृत श्रमिकों के पुत्र–पुत्रियों को भी मिलेगा।
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युवा सशक्तिकरण मिशन के तहत प्रतिवर्ष साढ़े सात लाख युवाओं के कौशल संवर्धन का लक्ष्य।
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5 वर्षों में प्रदेश के अन्य महानगरों में भी कौशल विकास के बड़े केन्द्र स्थापित करने की योजना।
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राज्य शासन की पहल पर इस वर्ष ढ़ाई लाख युवाओं को रोजगार मिला है। औद्योगिक नीति में मूलभूत परिवर्तन कर अब टैक्स में छूट देने के बजाय निवेश में सीधे सहायता देने का निर्णय है।
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पिछले वर्ष दो लाख से अधिक एमएसएमई में एक हजार 400 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 5 लाख लोगों को रोजगार मिला।
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750 मेगावाट क्षमता की रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना से बिजली का उत्पादन प्रारंभ। अब दिल्ली मेट्रो रीवा की बिजली से दौड़ेगी।
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अगले 5 वर्षों में प्रदेश में जनजातीय कल्याण पर दो लाख करोड़ रुपये के कार्य किए जाएँगे जिससे समस्त जनजातियों का सर्वांगीण विकास होगा।
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पेसा कानून को वास्तविक रूप से लागू करने के लिए अनुसूचित विकासखंडों के प्रत्येक ग्राम में जनजातीय अधिकार सभा का गठन करेंगे।
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अनुसूचित-जातियों के प्रतिभावन विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी, चिकित्सा शिक्षा तथा विधि महाविद्यालयों में प्रवेश और एन.डी.ए. की प्रवेश परीक्षा के लिये भोपाल, इंदौर, रायपुर, जबलपुर और ग्वालियर में कोचिंग की योजना प्रारंभ की जा रही है।
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पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक योजना का विस्तार कर विद्यार्थियों के माता-पिता/अभिभावक की सालाना आय सीमा 75 हजार से बढ़ाकर 3 लाख, अनुरक्षण भत्ते की दरें दो गुना, शासकीय संस्थाओं में संचालित स्व-वित्तीय पाठ्यक्रमों में प्रवेशित विद्यार्थियों को पूर्ण शिक्षण शुल्क सहित अन्य अनिवार्य शुल्कों की प्रतिपूर्ति, मान्यता प्राप्त अशासकीय संस्थाओं के बी.ई. पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु जे.ई.ई. मेन परीक्षा में मेरिट रैंक डेढ़ लाख तक आने पर विद्यार्थी के पूर्ण शिक्षण शुल्क और नीट परीक्षा के आधार पर प्रदेश के निजी महाविद्यालयों में प्रवेशित एम.बी.बी.एस. के विद्यार्थियों को पूर्ण शिक्षण शुल्क के भुगतान का प्रावधान किया गया है।
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मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना और नि:शक्तजन पेंशन योजना में गरीबी रेखा का बंधन समाप्त कर पेंशनरों की सुविधा के लिए 5 किलोमीटर से अधिक दूसरी वाले पेंशनरों के लिये- ”पेंशन आपके द्वार” योजना इसी माह से शुरू होगी।
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महिलाओं के लिये पंचायतों के बाद सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। शिक्षकों में पचास प्रतिशत और वन विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
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पिछले छ: माह में बालिकाओं से दुष्कर्म के आठ प्रकरणों में अपराधियों को मृत्यु दण्ड की सजा दी गई है।
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इस वर्ष भी नर्मदा तथा अन्य नदियों के कैचमेंट सहित पूरे प्रदेश में उच्च गुणवत्ता के 7 करोड़ पौधे लगाये जायेंगे।
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तेंदूपत्ता संग्राहकों को 2000 रुपये प्रति मानक बोरा राशि दी। पहली बार 22 लाख 35 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को मुफ्त जूता, चप्पल, पानी की बॉटल और साड़ी प्रदाय की गई।
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कला व संस्कृति को सहेजने के लिये लोक कलाकार मण्डल गठित होगा।
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प्रदेश को तीन वर्षों से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार ।
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प्रदेश के 20 से अधिक वृहद जलाशयों में निजी निवेश से जल पर्यटन को और बढ़ावा दिया जायेगा।
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नर्मदा तट के 19 नगरीय निकायों में 1300 करोड़ रुपये की सीवरेज योजनाएँ प्रगति पर।
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अब हमें अन्तर्राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर प्रदेश की पहचान बनाना है। जिले से ब्लॉक तक खेल अधोसंरचानाओं का विस्तार किया जायेगा।
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किसान भाईयों और भूमि-स्वामियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भू- राजस्व संहिता में व्यापक संशोधन एवं सरलीकरण किये गये।
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नगरीय क्षेत्रों में इस वर्ष 43 तहसीलें गठित की जायेंगी।
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भूमि-स्वामी और बटाईदार के हितों का संरक्षण करने के लिए कानून बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य प्रदेश का लोक सेवा गारंटी कानून नागरिकों को समय पर शासकीय सेवाओं के प्रदाय में सफल हुआ है।
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सीएम हेल्प लाइन में 95 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण।
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प्रदेश में कानून-व्यवस्था लगातार बेहतर रखने में सरकार सफल रही है। साम्प्रदायिक सौहार्द की दृष्टि से प्रदेश देश में मिसाल बना है। पुलिस बल की भर्ती प्रक्रिया की सुप्रीम कोर्ट ने सराहना की है।
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महिलाओं के लिये 676 थानों में पृथक कक्ष के निर्माण की परियोजना में इस वर्ष 40 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
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डायल-100 योजना से 50 लाख से भी अधिक पीड़ितों और जरूरतमंदों को मौके पर पुलिस सहायता मिली है।
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प्रदेश को समृद्ध बनाने का संकल्प लें। जहां सबको रोटी, कपड़ा, दवाई शिक्षा, रोजगार और सुशासन मिले। ऐसा प्रदेश जो सौहार्द, समरसता, माँ-बहन, बेटियों के सम्मान, विकास, तरक्की और खुशहाली की मिसाल बने।