भोपाल.रविवार को मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपना उपवास खत्म कर दिया। वे शनिवार से उपवास पर थे। पूर्व सीएम कैलाश जोशी के हाथ से उन्होंने नारियल-पानी पिया। कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें पीतांबरा पीठ का प्रसाद खिलाया। इससे पहले शिवराज ने कहा, “मैं एयर कंडीशन में रहने वाला सीएम नहीं हूं। रातभर मैं किसानों के बारे में ही सोचता रहा। मैंने हमेशा किसानों की परेशानियां दूर करने की कोशिश की है। वे हमारे लोग हैं। उनकी समस्याएं भी हमारी हैं। मैं यही सोचता हूं कि कैसे उत्पादकता बढ़ाई जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि मारे गए किसानों के परिजन मुझसे मिले हैं और उन्होंने उपवास तोड़ने को कहा है। बता दें कि प्रदेश में हिंसक किसान आंदोलन के बीच प्रदेश में शांति के लिए चौहान ने शनिवार से यहां BHEL दशहरा मैदान पर अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया था।
-पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने सीएम को नारियल-पानी पिलाकर उनका उपवास तोड़वाया। वहीं, मंत्री माया सिंह ने सीएम की पत्नी साधना सिहं को पानी और प्रसाद खिलाकर उनका भी उपवास खत्म करवाया।
– रविवार सुबह सीएम के उपवास स्थल के मंच पर बैठते ही किसानों के प्रतिनिधिमंडलों का उनसे मुलाकात का दौर शुरू हो गया था। उपवास स्थल पर महात्मा गांधी के प्रिय भजन चलाए गए। मंच के पीछे पंडित दीनदयाल उपाध्याय और गांधी जी का चित्र भी लगाया गया था। सीएम के साथ उनकी पत्नी के अलावा कैबिनेट के भी कई सदस्य मौजूद रहे।
– राजधानी में शनिवार और रविवार की दरमियानी रात तेज बारिश के कारण उपवास स्थल पर कई जगह अव्यवस्थाएं भी फैल गईं। हालांकि एडमिनिस्ट्रेशन ने बारिश की आशंका के चलते यहां वाटरप्रूफ पंडाल लगाया था, लेकिन इसके बाद भी कई जगह कीचड़ और जलभराव जैसे हालात पैदा हो गए।
– राजधानी में शनिवार और रविवार की दरमियानी रात तेज बारिश के कारण उपवास स्थल पर कई जगह अव्यवस्थाएं भी फैल गईं। हालांकि एडमिनिस्ट्रेशन ने बारिश की आशंका के चलते यहां वाटरप्रूफ पंडाल लगाया था, लेकिन इसके बाद भी कई जगह कीचड़ और जलभराव जैसे हालात पैदा हो गए।
– इस बीच, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गहलोत समेत बीजेपी के बड़े नेताओं ने रविवार को पार्टी दफ्तर में किसानों के मुद्दे पर अहम मीटिंग की।
– उधर, मंदसौर में हालात फिलहाल नॉर्मल हैं। यहां कुछ दिनों पहले पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हुई थी।
आंदोलन की क्या है खासियत?
पहली बार:दो राज्यों के किसान एक साथ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
चेहरा:कोई नहीं है। महाराष्ट्र में आंदोलन किसानों ने शुरू किया। ये विदर्भ या मराठवाड़ा के किसान नहीं हैं, जो सूखे से प्रभावित रहते हैं।
संकट: गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा उन पर भी मंडरा रहा है, जो फल-दूध-सब्जी बेचते हैं।
पहली बार:दो राज्यों के किसान एक साथ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
चेहरा:कोई नहीं है। महाराष्ट्र में आंदोलन किसानों ने शुरू किया। ये विदर्भ या मराठवाड़ा के किसान नहीं हैं, जो सूखे से प्रभावित रहते हैं।
संकट: गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा उन पर भी मंडरा रहा है, जो फल-दूध-सब्जी बेचते हैं।
क्या बोले किसान?
– शिवराज से मिलने आए एक मृतक किसान के पिता ने कहा, “हमने सीएम से उपवास तोड़ने की अपील की है। ये भी कहा है कि वे हमारे बारे में सोचें और दोषियों को सजा दें।”
सिंधिया करेंगे सत्याग्रह
– उधर, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल के टीटी नगर दशहरा मैदान पर सत्याग्रह पर बैठने का फैसला किया है। वे 14 जून से 72 घंटे का सत्याग्रह करेंगे।
– किसानों के आंदोलन के लिए सिंधिया ने मप्र सरकार की किसान विरोधी पॉलिसीज को जिम्मेदार बताया है। सत्याग्रह से पहले वे किसानों से मिलने मंदसौर भी जाएंगे।
– उधर, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल के टीटी नगर दशहरा मैदान पर सत्याग्रह पर बैठने का फैसला किया है। वे 14 जून से 72 घंटे का सत्याग्रह करेंगे।
– किसानों के आंदोलन के लिए सिंधिया ने मप्र सरकार की किसान विरोधी पॉलिसीज को जिम्मेदार बताया है। सत्याग्रह से पहले वे किसानों से मिलने मंदसौर भी जाएंगे।
हर वर्ग का कल्याण हो, सरकार का यही लक्ष्य: सीएम
– शनिवार को अनशन शुरू करने से पहले सीएम चौहान ने कहा था, “प्रदेश में हर वर्ग का कल्याण होना चाहिए। हमारा एक ही लक्ष्य रहा है- प्रदेश का विकास। मुख्यमंत्री बनते समय मेरी प्राथमिकता किसान भाई-बहन रहे। प्रदेश को आगे बढ़ाना है तो खेती को आगे बढ़ाना है। मुख्यमंत्री बना तो साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी। अब ये रकबा 40 लाख हेक्टेयर तक बढ़ चुका है।”
– “खेतों में पानी पहुंचाने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी। हमने 18% कर्ज घटाकर 0% कर दिया। -10% पर लोन दिया। जब संकट की घड़ी आई, मैं कभी सीएम आवास पर नहीं बैठा, खेतों में गया। किसानों को पर्याप्त राहत देने की कोशिश की। पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हुई थी, हमने 4800 करोड़ का मुआवजा दिया।”
– “मालवा रेगिस्तान बनने की दिशा में बढ़ रहा था। हमने नर्मदा ले जाकर ये सुनिश्चित किया कि मालवा रेगिस्तान ना बने। दुनिया में सिर्फ मध्य प्रदेश में ऐसा होता है कि एक लाख ले जाओ, खाद-बीज के लिए और 90 हजार ही वापस करो।”
– “पिछले साल प्याज के दाम गिर गए थे। तब मैंने तय किया कि प्याज 6 रुपए किलो खरीदा जाएगा। इस साल भी बंपर फसल आई है। अन्न के भंडार भर गए हैं। जब उत्पादन बंपर होता है तो कीमत गिरती है। इससे किसान को नुकसान होता है। इससे किसान को तकलीफ होती है। इसलिए हमने फैसला किया कि पूरा प्याज 8 रुपए किलो खरीदा जाएगा।”
किसान की मेहनत को बेकार नहीं जाने देंगे
– सीएम चौहान ने कहा, “किसान की मेहनत और परिश्रम को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। किसान को लाभकारी मूल्य देने में मध्य प्रदेश सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मर्जी के बिना किसान की जमीन नहीं ली जाएगी। किसान विरोध मुद्दों को ऑर्डिनेंस लाकर बदला जाएगा।”
– “चेक पेमेंट में परेशानी आई तो किसान चेक लेकर घूमता रहा। हमने फैसला किया कि आरटीजीएस से पेमेंट किया जाएगा। किसानों को लाभकारी मूल्य देना मध्य प्रदेश में सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैदावार ली जाएगी। इसके अलावा हमने एक आयोग बनाने का फैसला किया है जो किसान की लागत का आकलन कर यह तय करेगा कि किसान को लाभकारी मूल्य दिया जा सके।
– “सही कीमत देने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बना रहे हैं। इसके लिए 1 हजार करोड़ का कोष बनाया जा रहा है। एक बड़ी विसंगति है कि किसान बेचता है तो सस्ता बिकता है। उपभोक्ता को महंगा मिलता है। मेरी कोशिश रहेगी कि 8% आढ़त को घटाकर 2% किया जाए।”
– “भविष्य में हम ये कोशिश करेंगे कि किसान और उपभोक्ता के बीच कोई बिचौलिया ना रहे जिससे किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।”
– “चेक पेमेंट में परेशानी आई तो किसान चेक लेकर घूमता रहा। हमने फैसला किया कि आरटीजीएस से पेमेंट किया जाएगा। किसानों को लाभकारी मूल्य देना मध्य प्रदेश में सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैदावार ली जाएगी। इसके अलावा हमने एक आयोग बनाने का फैसला किया है जो किसान की लागत का आकलन कर यह तय करेगा कि किसान को लाभकारी मूल्य दिया जा सके।
– “सही कीमत देने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष बना रहे हैं। इसके लिए 1 हजार करोड़ का कोष बनाया जा रहा है। एक बड़ी विसंगति है कि किसान बेचता है तो सस्ता बिकता है। उपभोक्ता को महंगा मिलता है। मेरी कोशिश रहेगी कि 8% आढ़त को घटाकर 2% किया जाए।”
– “भविष्य में हम ये कोशिश करेंगे कि किसान और उपभोक्ता के बीच कोई बिचौलिया ना रहे जिससे किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिल सके।”
किसानों को भड़काया जा रहा है
– शिवराज ने यह भी कहा, “आंदोलन तब जायज है जब सरकार ना सुने। जब मुख्यमंत्री कह रहा है कि आइए चर्चा करेंगे। चर्चा करके समाधान निकालेंगे। तो किसान चर्चा के लिए आएं। मेरी एक वीडियो क्लिपिंग चलाई गई। उससे किसानों को भड़काया गया कि मैं एक धेला नहीं दूंगा। मैंने किसानों के लिए ऐसा कभी नहीं कहा। मैंने ग्रामोदय अभियान के दौरान जो कहा था, उसे किसानों से जोड़ दिया गया। तब मैंने कर्मचारियों से कहा था- हड़ताल करने से क्या होगा, एक धेला नहीं दूंगा। जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना मंदसौर जिले में हुई, उससे मैं अंदर तक हिल गया।”
– शिवराज ने यह भी कहा, “आंदोलन तब जायज है जब सरकार ना सुने। जब मुख्यमंत्री कह रहा है कि आइए चर्चा करेंगे। चर्चा करके समाधान निकालेंगे। तो किसान चर्चा के लिए आएं। मेरी एक वीडियो क्लिपिंग चलाई गई। उससे किसानों को भड़काया गया कि मैं एक धेला नहीं दूंगा। मैंने किसानों के लिए ऐसा कभी नहीं कहा। मैंने ग्रामोदय अभियान के दौरान जो कहा था, उसे किसानों से जोड़ दिया गया। तब मैंने कर्मचारियों से कहा था- हड़ताल करने से क्या होगा, एक धेला नहीं दूंगा। जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना मंदसौर जिले में हुई, उससे मैं अंदर तक हिल गया।”
कर्ज माफी का सवाल ही नहीं: कृषि मंत्री
– मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा है, ”जो जैसा व्यवहार करेगा, उसके साथ वैसे ही निपटा जाएगा। यह आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा। राहुल गांधी यहां क्यों आए थे, उनका जन्म मप्र में हुआ है क्या? किसानों के कर्ज माफी का कोई सवाल ही नहीं उठता, मैं पहले भी इसके पक्ष में नहीं था और अब भी नहीं हूं।”
– राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि किसानों से अपील है कि वे शांति बनाए रखें और सीएम के सामने अपनी मांगें रखें।
विपक्ष ने कहा- ये सब नौटंकी
– विपक्ष ने सीएम के उपवास और दशहरा मैदान से सरकार चलाने के फैसले को महज नौटंकी करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि चौहान को नौटंकी करने के बजाय किसानों की समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, “खुद को संवेदनशील मुख्यमंत्री बताने वाले चौहान छह किसानों की मौत के बाद मंदसौर नहीं गए, यहां तक कि बालाघाट में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में 25 लोगों की मौत के बाद उन्होंने वहां भी जाना मुनासिब नहीं समझा। वे सिर्फ नौटंकी और मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते रहे हैं। उपवास भी इसी का हिस्सा है।”
– विपक्ष ने सीएम के उपवास और दशहरा मैदान से सरकार चलाने के फैसले को महज नौटंकी करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि चौहान को नौटंकी करने के बजाय किसानों की समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर करना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा, “खुद को संवेदनशील मुख्यमंत्री बताने वाले चौहान छह किसानों की मौत के बाद मंदसौर नहीं गए, यहां तक कि बालाघाट में एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में 25 लोगों की मौत के बाद उन्होंने वहां भी जाना मुनासिब नहीं समझा। वे सिर्फ नौटंकी और मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते रहे हैं। उपवास भी इसी का हिस्सा है।”
क्या हैं किसानों की मांगें, क्यों अनशन पर बैठे हैं शिवराज?
– महाराष्ट्र के बाद जून की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू किया। मप्र के किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज माफी दी जाए, फसलों पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिले, जमीन के बदले मुआवजे पर कोर्ट जाने का हक मिले और दूध के रेट बढ़ाए जाएं।
– सबसे पहले 3 जून को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया था। बाद में मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जैसे राज्य के बाकी हिस्सों में फैल गया। मंदसौर में पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई। शुक्रवार को यह हिंसक आंदोलन राजधानी भोपाल के पास फंदा तक पहुंच गया। इसके बाद शिवराज ने शुक्रवार रात फैसला किया कि वे शनिवार से अनशन करेंगे।
– महाराष्ट्र के बाद जून की शुरुआत में मध्य प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू किया। मप्र के किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज माफी दी जाए, फसलों पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिले, जमीन के बदले मुआवजे पर कोर्ट जाने का हक मिले और दूध के रेट बढ़ाए जाएं।
– सबसे पहले 3 जून को इंदौर में यह आंदोलन हिंसक हो गया था। बाद में मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जैसे राज्य के बाकी हिस्सों में फैल गया। मंदसौर में पुलिस की फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई। शुक्रवार को यह हिंसक आंदोलन राजधानी भोपाल के पास फंदा तक पहुंच गया। इसके बाद शिवराज ने शुक्रवार रात फैसला किया कि वे शनिवार से अनशन करेंगे।
मप्र सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए?
– सीएम चौहान ने किसानों पर केस खत्म करने, जमीन मामले में किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने, फसल बीमा को ऑप्शनल बनाने, मंडी में किसानों को 50% कैश पेमेंट और 50% आरटीजीएस से देने का एलान किया था।
– यह भी कहा था कि सरकार किसानों से इस साल 8 रु. किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी।
– सरकार ने यह भी एलान किया था कि एक आयोग बनेगा जो फसलों की लागत तय करेगा। उस पर किसानों को फायदा होने लायक कीमत मिले, यह सरकार सुनिश्चित कराएगी।
– सीएम चौहान ने किसानों पर केस खत्म करने, जमीन मामले में किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने, फसल बीमा को ऑप्शनल बनाने, मंडी में किसानों को 50% कैश पेमेंट और 50% आरटीजीएस से देने का एलान किया था।
– यह भी कहा था कि सरकार किसानों से इस साल 8 रु. किलो प्याज और गर्मी में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदेगी। खरीदी 30 जून तक चलेगी।
– सरकार ने यह भी एलान किया था कि एक आयोग बनेगा जो फसलों की लागत तय करेगा। उस पर किसानों को फायदा होने लायक कीमत मिले, यह सरकार सुनिश्चित कराएगी।
प्रदेश में 19 साल बाद इस तरह का आंदोलन
– इससे पहले मप्र के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।
– इससे पहले मप्र के बैतूल जिले के मुलताई में 1998 में किसानों ने इस तरह का आंदोलन किया था। 12 जनवरी 1998 को प्रदर्शन के दौरान 18 लोगों की मौत हुई थी। दरअसल, मुलताई में उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन हुआ था। किसान बाढ़ से हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे और कर्ज माफी की मांग कर रहे थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थी।
आंदोलन की क्या है खासियत?
पहली बार:दो राज्यों के किसान एक साथ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
चेहरा:कोई नहीं है। महाराष्ट्र में आंदोलन किसानों ने शुरू किया। ये विदर्भ या मराठवाड़ा के किसान नहीं हैं, जो सूखे से प्रभावित रहते हैं।
संकट: गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा उन पर भी मंडरा रहा है, जो फल-दूध-सब्जी बेचते हैं।
पहली बार:दो राज्यों के किसान एक साथ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
चेहरा:कोई नहीं है। महाराष्ट्र में आंदोलन किसानों ने शुरू किया। ये विदर्भ या मराठवाड़ा के किसान नहीं हैं, जो सूखे से प्रभावित रहते हैं।
संकट: गेहूं, दाल, चावल उगाने वाले किसानों के अलावा उन पर भी मंडरा रहा है, जो फल-दूध-सब्जी बेचते हैं।