कहते हैं जब इंसान जमीन से जुड़ा होता है तो अपना सा लगता है। ऊंचाईयों के शिखर को छूने के बावजूद भी जब कोई इंसान जमीनी हकीकत से दो-चार होता है तभी वह जनता के दिलों में राज करता है, शायद तभी वह इन्हीं खूबियों के बिनाह पर लोकप्रियता हासिल करता है। नेताओं के लिए तो यह बात अति आवश्यक हो जाती है। ऐसे ही एक नेता है विरेन्द्र सिंह मस्त। विरेन्द्र सिंह जितने ही मस्त दिल के इंसान है उतने ही मस्त नेता है। फरियादी के फरियाद को सुनना विरेन्द्र सिंह की फितरत हो चुकी है। इसी फितरत के चलते विरेन्द्र सिंह मस्त बड़े ही बेबाकी से अपनी बात को मस्ती में ऐसे कह जाते हैं, कि सुनने वाले अवाक हो जाते है। शायद इन्ही विशेषताओं के कारण इन्हें मस्त के उपनाम से संबोधित किया जाता है।
विरेन्द्र सिंह मस्त उत्तर प्रदेश के भदोही जिला के वर्तमान भाजपा सांसद व किसान मोर्चा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जो जनता के बीच काफी लोकप्रिय है। विरेन्द सिंह किसान नेता है अतः वह किसानों के पक्षधर भी है। वह कहते है कि अगर मैं किसान मोर्चा संघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष न होता तो भी मैं किसानों की समस्या का पुरजोर तरीके से संसद में उठाता। मैं किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं इसलिए किसानों की मूलभूत आवश्यकता व समस्या को बखूबी जानता हूं।
कृषि व कृषक के आवश्यकता व समस्या को जानने के लिए कृषि जागरण टीम ने विरेन्द्र सिंह मस्त से बात की।
प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत का कुछ प्रमुख अंश…..
आपकी नजर में किसान की समस्या क्या है?
मेरी नजर में किसानों की समस्या उनका आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक व परिवारिक उत्थान का न होना है। जब तक किसान इन सभी पहलुओं पर समृद्ध नहीं होगा समस्या तब तक रहेगी। कृषि लागत को कम कर उत्पादन को बढ़ाना ही किसानों का आर्थिक आधार होगा। कृषि उत्पादन के आधार पर ही इस देश के समृद्धि का निर्माण होता है। इस देश में 82 प्रतिशत किसानों की आबादी है फिर भी किसान आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक रूप से पिछड़ा हुआ है। मैनें किसानों की समस्या को भारत सरकार के सामने रखी है। सरकार सचेत है और इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है।
सरकार वर्ष 2022तक किसानों की आय को दोगुना करने की सोच रही है। यह किस प्रकार संभव है?
किसान एक ऐसा उत्पादक है जो जीवन की सम्पूर्णता को पूरा करने के लिए उत्पादन करता है। अनाज, दूध दही, घी, फल सब्जी किसान उत्पाद करता है, लेकिन चिंता इस बात की है कि किसान स्वयं अपने उत्पाद की कीमत तय नहीं कर सकता है जबकि कारखाने के उत्पादक अपने उत्पाद के दाम को स्वयं तय करता है। किसान गन्ना उत्पादन करता है तो चीनी मिल मालिक ही गन्ना व चीनी दोनों का दाम तय करता है। उसी प्रकार किसान कपास का उत्पादन करता है तो कपड़ा मिल मालिक ही कपास और कपड़ा दोनों के दाम निर्धारित करता है। ऐसे में किसान अपने ही उत्पादन की कीमत तय नहीं कर पाता है यह एक विडंबना है।
किसानों की आय को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ऐसी पहल कर रही जिससे किसान अपने लागत को कम कर उत्पादन को बढ़ा सकते है। किसान नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग करे जिससे कि उन्हें अतिरिक्त कीटनाशक दवाओं का प्रयोग न करना पड़े। सरकार सोलर पैनल के द्वारा सिंचाई के रास्ते आसान कर रही है जिससे डीजल, पेट्रोल और बिजली की बचत कर अपने लागत को कम कर सकते हैं। खेती के साथ ही किसान पशुपालन करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। सरकार ने भी किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रखी है जिनका लाभ लेकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
महिलाओं का कृषि कार्य में काफी सहयोग रहता है लेकिन उनका नाम कभी शीर्ष पर नहीं रहता है। आपको मत से ऐसा क्यों है?
कृषि कार्य में महिलाओं का हमेशा से सहयोग है और वर्तमान में भी कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत है। हां, हम यह कह सकते हैं कि महिलाएं ट्रैक्टर नहीं चला सकती हैं या भारी काम नही कर सकती हैं, लेकिन कृषि के अन्य कामों को महिलाएं ही करती हैं। कई जगह महिलाएं ही खेती कर रही हैं। खेती हमारे परिवार का आधार है और परिवारवाद हमारे ही देश में मिलता है। विदेशों में परिवार क्या है यह कोई नहीं जानता। संयुक्त परिवार की झलक अभी भी हमारे देश में देखने को मिल जाती है। परिवार का हिस्सा होने के नाते महिलाओं का सहयोग परिवार बनाने से लेकर खेती करने व पशुपालन करने तक होता है। हमारी कोशिश महिलाओं को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से जोड़ कर एक रोजगार पैदा करना है जिससे वे घर के कामों से खाली हो कुछ अतिरिक्त पैसा कमा सकें।
गन्ना किसानों को इनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है। सरकार इसके लिए क्या कर रही है?
कृषि क्षेत्र में शासन के तौर पर कई तरह की विडंबना है जैसे किसान को वित्त की आवश्यकता होती है तो उसे वित्त मंत्रालय में जाना होता है। उसे अपने उत्पाद के व्यापार की आवश्यकता होती है तो उसे वाणिज्य मंत्रालय में जाना होता है। उत्पाद को बेचना होता है तो उसे खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय में जाना होता है। सिंचाई की आवश्यकता होती है तो जल ससांधन मंत्रालय में जाना होता है। दीन दयाल ज्योति योजना के तहत सिंचाई के लिए बिजली की आवश्यकता होती है तो बिजली मंत्रालय में जाना होता है। आपदा राहत से संबंधित चीजों के लिए गृह मंत्रालय में जाना होता है। कृषि विषय इतना व्यापक है कि इसके लिए कई मंत्रालयों का चक्कर लगाना पड़ता है यह एक विडंबना है। इन सबके बावजूद सरकार किसानों के हित के बारे में निरंतर सोच रही हैं। जल्द ही इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा ओर गन्ना किसानों को उनके गन्ना का उचित कीमत दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में नई सरकार से किसानों को क्या मिलने वाला है?
उत्तर प्रदेश में नई सरकार से किसानों को कई तरह के लाभ मिलने वाले है जैसे उनके सारे कर्ज मांफ कर दिए जाएंगे। कृषि ऋण शून्य प्रतिशत पर प्रदान किए जाएंगे। पशुपालन के अलावा फल उत्पादन व सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार बड़ा काम कर रही है। जिसके लिए बजट का निर्धारण भी किया जा चुका है। केंद्र सरकार की सभी कृषि योजनाओं को राज्य सरकार की मदद से क्रियांवित किया जाएगा। मेरा मानना है कि अगर केन्द्र सरकार द्वारा लागू किये गये सभी योजनाओं पर अगर सही तरीके से काम हो जाए तो कृषि समृद्धि का बड़ा आकार खड़ा हो जाएगा।
किसान नेता होने के नाते आप किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
मैं किसान परिवार से जुड़ा हूं इसलिए मैं किसानों की पीड़ा को नजदीक से जानता हूं। मैं कह सकता हूं कि देश के समृद्धि का रास्ता खेतों और खलिहानों से होकर जाता है, इस बात को लेकर किसी को भ्रम ना हो। इस बात को ठीक तरह से दीन दयाल उपाध्याय, महात्मा गांधी व राम मनोहर लोहिया जी ने समझा था। आज भी बहुत से लोग इस बात को समझ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो योजनाएं कृषि विकास के लिए चला रखी हैं, उन योजनाओं से जल्द ही कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 2022 तक किसानों को समृद्धि बनाने की योजना बना रखी है। भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा संघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मैं किसानों के आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक और सांस्कृतिक विकास हो इस लिए प्रयासरत हूं। जल्द ही किसानों के सारे समस्या का समाधान हो जाएगा।