नई दिल्ली.सब्जियों, दालों आदि फूड आइटम्स की कीमतों में गिरावट के चलते रिटेल इनफ्लेशन (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई) 2012 के बाद के निचले स्तर पर आ गई। मई में रिटेल महंगाई 2.18% रही, जबकि अप्रैल में यह 2.99% थी। पिछले साल मई में रिटेल इनफ्लेशन 5.76% थी। कपड़ों, मकानों, फ्यूल की कीमतों में गिरावट का असर भी महंगाई पर पड़ा।
– रिटेल इनफ्लेशन का यह आंकड़ा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 4% की मीडियम टर्म थ्रेसहोल्ड से काफी कम है। माना जा रहा है कि इससे आरबीआई पर अगली मॉनिटरी पॉलिसी में इंटरेस्ट रेट्स कम करने का दबाव बढ़ेगा।
-इस महीने की शुरुआत में हुई आरबीआई की दूसरी बाईमंथली मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया था।
फूड आइटम्स में कमी का दिखा असर
– मई में कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (सीएफपीआई) -1.05% की निगेटिव टेरिटरी में चला गया, जबकि मई 2016 में यह 7.47% था।
– रूरल सीएफपीआई -0.60% और अर्बन सीएफपीआई -% के लेवल पर रही। वहीं पल्सेस (दालें) ग्रुप इंडेक्स में 1.9% की कमी दर्ज की गई।
– हालांकि मई में सब्जियों की कीमतों में 13.44 फीसदी की कमी दर्ज की गई। वहीं दालों और अन्य फूड आइटम्स की कीमतों में 19.45 फीसदी की गिरावट आई।
लगातार तीसरे महीने घटी महंगाई
– मई में रिटेल इनफ्लेशन में लगातार तीसरे महीने कमी दर्ज की गई है। अप्रैल में रिटेल इनफ्लेशन घटकर 2.99% हो गया था, जबकि मार्च में यह 3.89% था।
अर्बन और रूरल इनफ्लेशन दोनों में कमी
– अर्बन और रूरल इनफ्लेशन की अलग-अलग बात करें तो दोनों में कमी दर्ज की गई है। अर्बन महंगाई घटकर 2.13 फीसदी पर आ गई, जबकि अप्रैल में यह 3.03 फीसदी थी। वहीं रूरल महंगाई मई में 2.30 फीसदी के स्तर पर आ गई, जो अप्रैल में 3.02 फीसदी के स्तर पर थी।